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बैंकों का पैसा दबाये बैठे उम्मीदवारों का हो सकता है खुलासा

कोलकाता: सरकारी क्षेत्र के बैंकों के कुछ कर्मी व अधिकारी यूनियन ने लोकसभा चुनाव लड़ रहे ऐसे उम्मीदवारों के नामों का खुलासा करने की योजना बनायी है, जो बैंकों का पैसा दबाये बैठे हैं. देश का सबसे बड़ा बैंक कर्मी यूनियन ऑल इंडिया बैंक एंप्लोइज एसोसिएशन (एआइबीइए) ने उन उम्मीदवारों की तालिका तैयार करने की […]

कोलकाता: सरकारी क्षेत्र के बैंकों के कुछ कर्मी व अधिकारी यूनियन ने लोकसभा चुनाव लड़ रहे ऐसे उम्मीदवारों के नामों का खुलासा करने की योजना बनायी है, जो बैंकों का पैसा दबाये बैठे हैं.

देश का सबसे बड़ा बैंक कर्मी यूनियन ऑल इंडिया बैंक एंप्लोइज एसोसिएशन (एआइबीइए) ने उन उम्मीदवारों की तालिका तैयार करने की योजना बनायी है, जिन्हें डिफॉल्टर करार दिया गया है. सूत्रों के अनुसार एआइबीइए इस तालिका को चुनाव आयोग एवं चुनाव में पारदर्शिता लाने का प्रयास कर रहे स्वैच्छिक संगठनों को सौंप देगा. इस पहल का मकसद मतदाताओं को उनके उम्मीदवारों के बारे में जागरूक करना एवं बैंकों का पैसा दबाये बैठे लोगों को चुनाव लड़ने से रोकना है. इस तालिका को तैयार करने में ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन (एआइबीओए) व एआइबीइए सहयोग करेगा.

इसके लिए एआइबीइए यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) के विभिन्न घटकों के साथ भी संपर्क करेगा. दिसंबर 2013 में एआइबीइए ने बैंको का पैसा नहीं लौटा रहे देश के 50 टॉप कॉरपोरेट लॉन डिफॉल्टर की एक तालिका पेश की थी. यूएफबीयू ने चुनाव आयोग को एक पत्र लिख कर यह बताया था कि राज्यसभा के कुछ प्रमुख सांसद विभिन्न राष्ट्रीयकृत बैंकों द्वारा दिये गये ऋण नहीं लौटा रहे हैं.

वहीं दो पद्मश्री विजेता संयुक्त रुप से बैंकों 15.10 करोड़ रुपये दबाये बैठे हैं. उधार लेनेवाली एक कंपनी के साथ एक केंद्रीय मंत्री का सीधा संपर्क है, उस कंपनी पर बैंकों 350 करोड़ रुपये बकाया है. यूएफबीयू के एक घटक यूनियन दि बैंक एंप्लॉइज फेडरेशन ऑफ इंडिया (बीइएफआइ) ने बैंकों का पैसा वापस नहीं करनेवालों के चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की मांग की है. बीइएफआइ के एक प्रदेश अधिकारी का कहना है कि सरकार को बैंकों के डिफॉल्टरों की एक तालिका तैयार कर उसे जनता के बीच सार्वजनिक करना चाहिए. सरकार कानूनी जटिलताओं का हवाला देकर ऐसा करने से लंबे समय से बचती आ रही है.

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