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गंगा की स्वच्छता के लिए जन भागीदारी जरूरी

गंगा धार्मिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक व आर्थिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है. लगभग ढाई हजार किलोमीटर बृहद क्षेत्र में प्रवाहित होनेवाली गंगा संबंधित क्षेत्रों के लोगों का भरण पोषण तो करती ही है, साथ ही भारत के करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र भी है. देश के आर्थिक तंत्र का महत्वपूर्ण भाग माने जानेवाली […]

गंगा धार्मिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक व आर्थिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है. लगभग ढाई हजार किलोमीटर बृहद क्षेत्र में प्रवाहित होनेवाली गंगा संबंधित क्षेत्रों के लोगों का भरण पोषण तो करती ही है, साथ ही भारत के करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र भी है.
देश के आर्थिक तंत्र का महत्वपूर्ण भाग माने जानेवाली गंगा पर केवल मनुष्य ही नहीं, बल्कि वनों में रहनेवाले पशु-पक्षी व अन्य जीव भी निर्भर हैं. गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाना सिर्फ सरकार व प्रशासन की जिम्मेदारी ही नहीं, बल्कि इसके लिए जन भागीदारी भी अहम् है. प्रत्येक नागरिक का दायित्व है कि वह गंगा स्वच्छता के प्रति व्यक्तिगत रूप से जागरूक हो और दूसरों को भी जागरूक करे. ये बातें ‘प्रभात खबर’ और ‘गंगा विचार मंच’ की ओर से आयोजित परिचर्चा में बड़ाबाजार इलाके के लोगों ने कहीं. इस बार भी प्रभात खबर जनसंवाद परिचर्चा का विषय ‘गंगा की स्वच्छता, कितने जागरूक हम’ रखा गया था. परिचर्चा का आयोजन महानगर के पाथुरिया घाट के निकट किया गया था. इसका संचालन गंगा विचार मंच, पश्चिम बंगाल के सह संयोजक चंद्रशेखर बासोतिया ने किया. पेश में परिचर्चा में व्यक्त किये गये लोगों के विचार.
शंभु पांडेय, पाथुरिया घाट के निकट मंदिर के पुजारी : गंगा के किनारे जीवन के कई साल बीत गये. गंगा में प्रदूषण को रोकना काफी जरूरी है. इसके लिए सरकार व प्रशासन अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं, लेकिन स्वच्छता के लिए हर व्यक्ति की भागीदारी भी अहम् है.
वीरेंद्र कुमार मोरी, समाजसेवी : गंगा के महत्व को सभी जानते हैं. इसकी स्वच्छता की जिम्मेदारी भी समाज के लोगों की है. स्वच्छता के लिए हमें खुद को जागरूक तो करना ही होगा, साथ ही यदि कोई गंगा में पॉलिथीन या अन्य गंदा सामान फेंकता है, तो उसे रोकना भी हमारी जिम्मेदारी है.
सुनील राय, राजनीति से जुड़े : स्वच्छता के लिए पहले से हम ज्यादा जागरूक हुए हैं. यदि हम जागरूक नहीं होते, तो गंगा की स्वच्छता की बात नहीं सोचते और न ही कोई पहल करते. हमारे मन में मंदिर या अन्य धार्मिक स्थल के पास कचरा फेंकने से डर लगता है.
क्योंकि यह आस्था से जुड़ा है. यदि ऐसा है, तो गंगा में कचरा फेंकने से हम क्यों नहीं डरते? एक मां की तरह गंगा ने हमें बहुत कुछ दिया. पॉलिथीन, गंदे सामान नदी में फेंकने से बचना होगा. स्वच्छता के लिए जागरूकता को जारी रखना होगा.
ओम प्रकाश सिंह, युवा समाजसेवी : लोग यह सोचते हैं कि गंगा की स्वच्छता की जिम्मेदारी केवल सरकार व प्रशासन की है, लेकिन सरकार कौन है? सरकार हम और आप हैं. गंगा की स्वच्छता काफी अहम है. गंगा की स्वच्छता के लिए सबसे पहले लोगों को अपनी धारणा और सोच बदलने की जरूरत है. गंगा लोगों के रोज के व्यवहार से प्रदूषित हो रही है, इसलिए इसे स्वच्छ रखने के लिए हमें जागरूक होने की काफी जरूरत है.
चंद्रशेखर बासोतिया, गंगा विचार मंच के पदाधिकारी : गंगा की सफाई एक चुनौती बन गयी है. तकनीक तभी कामयाब हो सकती है, जब तकनीक इजाद करनेवाले की नीयत सही हो. यदि हर व्यक्ति ठान ले कि उसे गंगा को स्वच्छ रखना है, तो गंगा को प्रदूषण मुक्त होने से कोई रोक नहीं सकता है. गंगा की स्वच्छता में जन भागीदारी काफी अहम है. हमें गंगा को दूषित करनेवाले लोगों के खिलाफ भी अभियान चलाने की जरूरत है.
सागर प्रसाद माली, सामाजिक कार्यकर्ता : गंगा की स्वच्छता के लिए हर घाट पर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण हो. कल-कारखानों से निकलनेवाली गंदगी नदी में प्रवाहित नहीं हो, इसके लिए सरकार को ध्यान देना होगा. नदी की स्वच्छता के लिए कड़ा कानून बनाया जाना चाहिए. गंगा को प्रदूषित करनेवालों में कानून का भय होना जरूरी है, ताकि नदी प्रदूषण मुक्त हो सके.
दिलीप कुमार सोनकर : गंगा के प्रति केवल धार्मिक आस्था ही नहीं है, बल्कि गंगा हमारे जीवन से जुड़ी है. गंगा स्वच्छ रहेगी, तो ही देश का भविष्य स्वस्थ रहेगा. सरकार-प्रशासन को यह ध्यान रखना होगा की फूल-माला फेंकने की निर्धारित जगह बनायी जाये. स्वच्छता के लिए सरकार व प्रशासन के साथ लोग भी भागीदार बनें.
प्रकाश राय : यदि हम तय कर लें कि अब हमें गंगा को दूषित नहीं करना है, तो उसे स्वच्छ करने से कोई नहीं रोक सकता है. इसके लिए पहले खुद को स्वच्छ रखना होगा. हमें गंगा को स्वच्छ रखने के लिए केवल बातें नहीं, बल्कि प्रयास करना होगा.
ललित सिंह : मुख्य बात यह है कि आखिर गंगा को प्रदूषित कौन कर रहा है? हम और समाज में रहनेवाले लोग ही तो कर रहे हैं. कल-कारखानों से निकलनेवाला कचरा गंगा में प्रवाहित न हो, इसके लिए सरकार व प्रशासन कदम उठाये. अपने स्तर पर गंगा की स्वच्छता की जिम्मेदारी आम नागरिकों को लेनी होगी.
विजय सोनकर : गंगा की सफाई की जिम्मेदारी सबकी है. गंगा की स्वच्छता के लिए सरकार के साथ तमाम लोगों की भागीदारी अहम है.
मनोज मूंधड़ा : गंगा की स्वच्छता के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं को भी आगे आना होगा. प्रत्येक सप्ताह गंगा के घाटों के पास जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है, ताकि लोग गंगा की स्वच्छता को लेकर सजग हो सकें.
शिव कुमार गुप्ता, शिक्षक : गंगा की स्वच्छता के लिए हर व्यक्ति को जिम्मेदार बनना होगा. लोग जब तक सजग नहीं होंगे, तब तक सरकारी तंत्र का कार्य भी सफल नहीं हो सकता है. गंगा में कई बड़े-बड़े नाले के पानी बहते हैं. हमें नालों की सफाई पर भी ध्यान देना होगा.
परिचर्चा के दौरान मोहम्मद अफसर, ओम प्रकाश साव, सुनील लाखोटिया, दिनेश पटेल, पप्पू पासवान, सुनील सिंह, राकेश कुमार सिंह, अमित साहा, राजेश मंडल, पुनीत कुमार, किशन कुमार वर्मा सहित अन्य गणमान्य व गंगा विचार मंच से जुड़े प्रतिनिधि उपस्थित थे.

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