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आचार्य महाप्रज्ञ के 98वें जन्मदिवस पर समारोह

कोलकाता : आचार्य श्री महाश्रमणजी के पावन सान्निध्य में प्रेक्षाप्रणेता आचार्य श्री महाप्रज्ञजी का 98वां जन्मदिवस समारोह का आयोजन प्रज्ञा दिवस के रूप में आयोजित किया गया. महाप्रज्ञजी का 98वां जन्मदिवस समारोह आचार्य श्री महाश्रमणजी के पावन सान्निध्य में साउथ सिटी आडिटोरियम में समायोजित हुआ. आचार्य श्री महाप्रज्ञजी का जन्म 14 जून, 1920 में राजस्थान […]

कोलकाता : आचार्य श्री महाश्रमणजी के पावन सान्निध्य में प्रेक्षाप्रणेता आचार्य श्री महाप्रज्ञजी का 98वां जन्मदिवस समारोह का आयोजन प्रज्ञा दिवस के रूप में आयोजित किया गया.
महाप्रज्ञजी का 98वां जन्मदिवस समारोह आचार्य श्री महाश्रमणजी के पावन सान्निध्य में साउथ सिटी आडिटोरियम में समायोजित हुआ. आचार्य श्री महाप्रज्ञजी का जन्म 14 जून, 1920 में राजस्थान का छोटे से कस्बे टमकोर में तोलाराम चौरड़िया के घर में हुआ. माता बल्लू जी जो बाद में धर्मसंघ में दीक्षित हुईं उनके दिये संस्कारों में बालक नथमल को महाप्रज्ञ बनाने में सुदृढ़ नींव का कार्य किया. आचार्य महाप्रज्ञ आशुकवि, चिंतन, दार्शनिक, संत महात्मा व महामानव के रूप में इस धरती पर अवतरित हुए, जिन्होंने अपनी अनुपम लेखनी से गण का भंडार भरा.
उनकी प्रमुख कृतियां आभामंडल, अहिंसा और शांति, कर्मवाद, भिक्षुविचार दर्शन आदि देश के लिए अमूल्य धरोहर है, जो सदैव स्मरणीय रहेंगी. डाॅ एपीजे अब्दुल कलाम के साथ उन्होंने ‘द फैमिली एंड द नेशन’ नाम की एक किताब लिखी. ऐसे विरले साहित्यकार कालजयी कृतित्व के धनी, महान संत, अप्रमत्त योगी को नमन. पूज्य प्रवर ने आचार्य श्री महाप्रज्ञजी के 98वेंं जन्मदिवस पर मंगल उद्बोधन दिया भगवान महावीर परम ज्ञानी पुरुष हुए. जीवन में ज्ञान का महत्व है. ज्ञान विकसित करें.
अध्ययन, अध्यापन वाचन से ज्ञान को काम में लेते रहें तो ज्ञान ताजा रहता है. पूज्य गुरुदेव ने फरमाया आचार्य श्री महाप्रज्ञजी प्रज्ञापुरुष थे. अपने पुरुषार्थ से योग साधना, प्रेक्षाध्यान, संस्कृत, प्राकृत आगम वेत्ता बने. पूज्य प्रवर ने 98वें जन्मदिवस पर जनवेदनी को प्रेरणा दी. 11.11 बजे सम्यक्त्व दीक्षा के कार्यक्रम में संकल्प करवाए. देव, गुरु, धर्म तीनों के प्रति श्रद्धा समर्पण रहना चाहिए. अहिंसा परमो धर्मः. हत्या व आत्महत्या न करें, शराब, मांस, मद्यपान का वर्जन करें. संवत्सरी का उपवास करने का प्रयास करें.
इस मौके पर विकास परिषद के सदस्य बनेचंद मालू ने काव्य पाठ किया. टालीगंज श्रावक-श्राविका समाज द्वारा गीतिका का संगान किया गया. टालीगंज सभा के अध्यक्ष विनोद बागरेचा ने स्वागत व अभिवंदना की. मुनि श्री दिनेश कुमारजी ने कार्यक्रम का संचालन किया. उपरोक्त जानकारी आचार्य श्री महाश्रमण चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति की महामंत्री सूरज बरड़िया ने दी.

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