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तारकेश्वर मंदिर विकास बोर्ड का चेयरमैन होने की बात निराधार : फिरहाद हकीम

कोलकाता. राज्य के शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम ने इस बात को निराधार बताया है. उन्होंने कहा कि उनका तारकेश्वर मंदिर विकास बोर्ड से कोई लेना-देना है. उन्होंने इस बात को गलत बताया है कि वह तारकेश्वर मंदिर विकास बोर्ड के चेयरमैन हैं. एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री हकीम ने कहा कि […]

कोलकाता. राज्य के शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम ने इस बात को निराधार बताया है. उन्होंने कहा कि उनका तारकेश्वर मंदिर विकास बोर्ड से कोई लेना-देना है. उन्होंने इस बात को गलत बताया है कि वह तारकेश्वर मंदिर विकास बोर्ड के चेयरमैन हैं. एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री हकीम ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया व कुछ राष्ट्रीय मीडिया पर यह कुप्रचार किया जा रहा है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें तारकेश्वर मंदिर विकास बोर्ड का चेयरमैन नियुक्त किया है. यह बात पूरी तरह गलत व बेबुनियाद है. श्री हकीम ने कहा कि सरकार का तारकेश्वर मंदिर विकास बोर्ड से कोई लेना-देना नहीं है. यह मंदिर ट्रस्ट का काम है.
श्री हकीम ने कहा कि सरकार ने तारकेश्वर शहर के विकास के लिए एक तारकेश्वर डेवलपमेंट अथॉरिटी एरिया गठित किया है. जिस तरह से पहले कोलकाता के विकास के लिए केएमडीए बनाया गया और दीघा डेवलपमेंट अथॉरिटी एरिया अथवा सिलीगुड़ी-जलपाईगुड़ी डेवलप्मेंट अथॉरिटी एरिया बनाया गया है, उसी तर्ज पर तारकेश्वर शहर व आसपास के विकास के लिए तारकेश्वर डेवपलपमेंट अथॉरिटी बोर्ड बनाया गया है. इससे मंदिर बोर्ड का कोई लेना-देना नहीं है. श्री हकीम ने कहा कि कुछ लोग अपने राजनीतिक फायदे के लिए एक बेबुनियाद बात को सांप्रदायिक रंग देकर दुनिया के सामने पेश कर रहे हैं, जिसकी वह जोरदार निंदा करते हैं.
शहरी विकास मंत्री ने कहा कि वह इस बात पर विश्वास नहीं करते हैं कि कोई मुसलमान किसी मंदिर के विकास में सहयोग नहीं कर सकता है या कोई हिंदू किसी मजार के विकास में हाथ नहीं बंटा सकता है. बचपन में वह कालीघाट मंदिर में स्वयंसेवक के रूप में काम कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि जब महानगर का 300 वर्ष से अधिक प्राचीन भूकैलाश मंदिर जर्जर हालत में था आैर उन्होंने ही उसका न केवल जीर्णाेद्धार किया, बल्कि वहां नंदी को भी स्थापित किया तो उस समय किसी उग्र हिंदूत्ववादी ने मुझसे सवाल क्यों नहीं किया कि मैं एक प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार क्यों करवा रहा हूं.
श्री हकीम ने कहा कि यह बंगाल की संस्कृति नहीं है. यहां सभी धर्म के लोग हमेशा से मिलजुल कर रहते आये हैं व एक-दूसरे के सुख-दुख में शामिल होते हैं, पर हाल के दिनों में पश्चिम बंगाल में हर घटना को सांप्रदायिक रंग देने का प्रयास किया जा रहा है, जो बेहद खतरनाक है. इसकी हर किसी को निंदा करनी चाहिए.

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