श्री गुरूंग ने कहा कि बंद के कारण पयर्टकों को काफी समस्या हुई. लेकिन इस दौरान हमने पयर्टकों को पानी, चाय, बिस्कुट और खिचड़ी बांटने की व्यवस्था की. साथ ही चालक महासंघ से बात कर पर्यटकों के लिए गाड़ी की व्यवस्था करायी जा रही थी, लेकिन इसमें भी बाधा डाली गयी. श्री गुरूंग ने कहा, मैं भी चाहता हूं कि शनिवार से पहाड़ खुले.
गोरखा रंगमंच भवन के संदर्भ में पूछे जाने पर श्री गुरूंग ने कहा कि मैं भी जीटीए चीफ की हैसियत से कैबनेट स्तर का हूं. गोरखा रंगमंच भवन में जीटीए सभा का कार्यालय है. लेकिन उसमें भी ममता बनर्जी अतिक्रमण कर रही है. यह तो हद है. एक अन्य प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि अब आंदोलन रुकने वाला नहीं है. हमारी मांग गोरखालैंड है.
उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी जब-जब पहाड़ आती हैं, गोरखा और नेपाली समुदाय को बांटने का काम करती हैं. इससे पहाड़ के लोग खफा थे, ऊपर से नेपाली भाषा पर अतिक्रमण की तैयारी की जा रही है. यह नेपाली और गोरखाओं की जीभ काटने का प्रयास है.