हालांकि, पहले ऑडिट रिपोर्ट पेश करने की कोई अंतिम तिथि नहीं थी. लेकिन शुक्रवार को राज्य सरकार ने नयी निर्देशिका जारी करते हुए दो सप्ताह में स्पेशल ऑडिट रिपोर्ट की प्रक्रिया संपूर्ण कर पेश करने को कहा है. जानकारी के अनुसार, वर्ष 2012 से अब तक राज्य सरकार द्वारा जीटीए को 900 करोड़ रुपये दिये हैं, जबकि केंद्र सरकार द्वारा भी 600 करोड़ रुपये प्रदान किये गये हैं.
जीटीए को मिले कुल 1500 करोड़ रुपये का दुरुपयोग करने का मामला प्रकाश में आया है. बताया गया है कि जीटीए के अंतर्गत कहां-कहां राशि खर्च की गयी है, इसका कोई हिसाब नहीं है. जीटीए प्रबंधन द्वारा इस संबंध में कोई दस्तावेज पेश नहीं किया गया है. ऑडिट रिपोर्ट से मामले की सच्चाई सामने आयेगी. गौरतलब है कि राज्य सरकार के निर्देश के बाद स्पेशल ऑडिट के लिए छह सदस्यीय टीम दार्जिलिंग पहुंच चुकी है.
गौरतलब है कि जीटीए एक स्वायत्त प्रशासनिक संस्थान है, जिसका गठन दार्जिलिंग व कालिम्पोंग क्षेत्र में विकास की योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए किया गया है, इसकी अवधि जुलाई 2017 में समाप्त होगी. इसलिए राज्य सरकार जीटीए इलेक्शन के पहले ऑडिट रिपोर्ट तैयार करना चाहती है, जिससे गोजमुमो पर दबाव और बढ़ाया जा सके. गौरतलब है कि राज्य सरकार ने जीटीए सचिव रवींद्र सिंह को उनके पद से हटा दिया है और उनके स्थान पर उत्तर बंगाल विकास विभाग के सचिव वरुण राय को जीटीए सचिव बनाया गया है.