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चार चरणों में हुई बैठकें रही बेनतीजा

विभिन्न मदों में शुल्क में बढ़ोत्तरी को लेकर नारायणा स्कूल का विवाद सलट नहीं रहा है. पूर्व जोनल महाप्रबंधक के साथ चार चरणों में बैठक हुयी, लेकिन कोई रिजल्ट नहीं निकला. इसके साथ ही माध्यमिक की मान्यता को लेकर नया विवाद शुरू हो गया. आसनसोल : कल्याणपुर सेटेलाइट टाउनशीप स्थित नारायणा स्कूल में शुल्क बढ़ोत्तरी […]

विभिन्न मदों में शुल्क में बढ़ोत्तरी को लेकर नारायणा स्कूल का विवाद सलट नहीं रहा है. पूर्व जोनल महाप्रबंधक के साथ चार चरणों में बैठक हुयी, लेकिन कोई रिजल्ट नहीं निकला. इसके साथ ही माध्यमिक की मान्यता को लेकर नया विवाद शुरू हो गया.
आसनसोल : कल्याणपुर सेटेलाइट टाउनशीप स्थित नारायणा स्कूल में शुल्क बढ़ोत्तरी के मुद्दे पर रविवार को स्कूल प्रबंधन तथा गाजिर्यनों के बीच स्कूल परिसर में चार चरणों में हुई बैठक बेनतीजा रही. प्रबंधन का प्रतिनिधित्व कर रहे पूर्व जोन के महाप्रबंधक माधव आचार्या ने कहा कि शुल्क में संशोधन के मुद्दे पर वरीय अधिकारियों से बात करने के बाद ही कोई निर्णय लिया जायेगा. गाजिर्यनों ने कहा कि वे प्रबंधन के निर्णय का इंतजार करने के बाद ही अगली रणनीति तय करेंगे.
सनद रहे कि दो दिन पूर्व विभिन्न मदों के शुल्क में बढ़ोत्तरी के खिलाफ गाजिर्यनों ने स्कूल के समक्ष हंगामा किया था तथा शुल्कों में कटौती की मांग की थी. पुलिस के हस्तक्षेप के बाद दोनों पक्षों के बीच बैठक होने पर सहमति बनी थी. पहले चरण की बैठक न होने के बाद रविवार को स्कूल प्रबंधन ने गाजिर्यन प्रतिनिधियों को बैठक के लिए आमंत्रित किया था. इसके बाद बैठक शुरू हुयी. इसमें स्कूल प्रबंधन का प्रतिनिधित्व पूर्व जोन के महाप्रबंधक श्री आचार्या तथा आसनसोल शाखा के उपमहाप्रबंधक मोहम्मद इरफान ने अभिभावकों को अपनी समस्या रखने को कहा.
गाजिर्यन प्रतिनिधियों ने कहा कि टयूशन फ ी 15 प्रतिशत की वृद्धि की गयी है. ट्रांसपोर्ट फ ी में 40 प्रतिशत की वृद्धि है. बाजार में आसानी से तीन सौ रूपये तक मिलने वाले स्कूल ड्रेस के लिए सात हजार रूपये की मांग की जा रही है. बाजार में चार सौ रुपये तक मिलने वाले स्कूल बैग के लिए दो हजार रूपये मांगे जा रहे हैं. दो हजार रूपये तक में आसानी से मिल जानेवाली पुस्तकों के लिए पांच हजार से सात हजार रूपये मांगे जा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि बाजार से स्कूल ड्रेस और किताबें उपलब्ध होने चाहिए. ताकि गाजिर्यन अपनी सुविधा के अनुसार कहीं से भी खरीदारी कर सकें. उन्होंने कहा कि स्कूल प्रबंधन ने इकतरफा निर्णय लेते हुए टयूशन फी, ट्रांसपोर्टेशन फी, स्कूल ड्रेस, स्कूल बैग, ब्लेजर, किताबों के मूल्य में अप्रत्याशित वृद्धि कर दी है. उन्होंने इस अप्रत्याशित वृद्धि को वापस लेने की मांग की. उन्होंने कहा कि हर दो से तीन माह में स्कूल में लगातार शिक्षक, रिशेसप्शन स्टॉफ व अन्य कर्मचारी बदले जा रहे हैं, इसका कारण क्या है? हर तीन माह में शिक्षकों की बदली हो जाती है और नये शिक्षक आते हैं. इससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है. अभी कुछ ही दिनों पहले प्रिंसिपल ने त्याग पत्र दे दिया. स्कूल द्वारा दिये गये डेस्क के फोन नंबर पर फोन करने पर कर्मचारी फोन रिसीव नहीं करते हैं. स्कूल के शिक्षक एवं स्टॉफ अभिभावकों से सहयोग न कर दुव्यर्वहार करते हैं. अभिभावकों ने प्रबंधन से सुंदर स्टॉफ की जगह गुणवान और प्रतीभावान शिक्षक रखने की मांग की. जिनमें शैक्षणिक योग्यता हो और वे स्टूडेंटस को अच्छी शिक्षा दे सकें.
प्रथम चरण की बैठक 11 बजे से स्कूल के क्लास रूम में आरंभ हुयी. यह डेढ़ घंटे तक चली.इसमें कोई सहमति नहीं बनी. दूसरे चरण की बैठक स्कूल भवन के मुख्य प्रवेश द्वार के समक्ष गलियारे में हुई. तीसरे चरण की बैठक प्रिंसिपल के कक्ष में हुई. चौथे चरण की बैठक रिसेप्शन रूम में हुई. विवादित मुद्दों का समाधान न होता देख अभिभावक आक्रोशित हो गये. अंतिम चरण की बैठक में जीएम श्री आचार्या ने नारायणा स्कूल को कोचिंग सेंटर कहा. इसके बाद गाजिर्यन भड़क गये. श्री आचार्या ने कहा कि स्कूल को नर्सरी से कक्षा आठ तक की ही मान्यता है. नौवीं कक्षा से बारहवीं कक्षा तक यह कोचिंग सेंटर है. उन्होंने कहा कि इसकी सूचना उन्होंने जिलाशासक और महकमाशासक को भी दी है.
उन्होंने और स्पष्ट करते हुए कहा कि शुल्क की रसीद में नारायणा स्कूल्स के स्थान पर राम नारायणा ट्रस्ट की रसीद दी जाती है. हालांकि महकमाशासक प्रलय राय चौधरी ने ऐसी किसी सूचना से इंकार किया है. अभिभावकों ने श्री आचार्या पर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने, उन्हें अंधेरे में रखने का आरोप लगाया.
अभिभावकों को समझाते हुए श्री आचार्या ने कहा कि वे जल्द ही स्कूल की स्थिति में सुधार करेंगे, अच्छे और गुणवान शिक्षकों की नियुक्ति की जायेगी. अभिभावकों ने प्रबंधन स्तर से किये गये वादों को लिखित रूप में देने को कहा. उन्होंने आरोप लगाया कि जब भी विवाद होता है. प्रबंधन स्तर से किसी प्रतिनिधि को भेजा जाता है. वे बड़े बड़े वादे कर चले जाते हैं. जो बोला जाता है, उसे पूरा नहीं किया जाता है. अंत में बैठक बेनतीजा समाप्त हो गयी.

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