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पुलिस की उपस्थिति में विश्वबंग विवि की चारदीवारी का निर्माण पुन: शुरू

पानागढ़ : विक्षुब्ध भूमि मालिकों व कृषकों द्वारा बोलपुर के शिवपुर मौजा स्थित राज्य सरकार द्वारा आवंटित भूमि पर उद्योग की जगह प्रस्तावित विश्वबंग विश्वविद्यालय की चारदीवारी का निर्माण कार्य भारी संख्या में पुलिस बल उतार कर मंगलवार सुबह से पुन: प्रशासन ने शुरू किया है. नवान्न से आये आदेश के बाद सुबह विश्वबंग निर्माण […]

पानागढ़ : विक्षुब्ध भूमि मालिकों व कृषकों द्वारा बोलपुर के शिवपुर मौजा स्थित राज्य सरकार द्वारा आवंटित भूमि पर उद्योग की जगह प्रस्तावित विश्वबंग विश्वविद्यालय की चारदीवारी का निर्माण कार्य भारी संख्या में पुलिस बल उतार कर मंगलवार सुबह से पुन: प्रशासन ने शुरू किया है. नवान्न से आये आदेश के बाद सुबह विश्वबंग निर्माण स्थल पर भारी संख्या में पुलिस बल उतारा गया है.
निर्माण स्थल पर काम कर रहे ठेका कर्मियों, श्रमिकों को छोड़कर केवल पुलिस व प्रशासन के लोगों को ही प्रवेश करने दिया जा रहा है. इधर पुन: निर्माण कार्य चालू किये जाने के बाद सुबह से ही हजारों की संख्या में शिवपुर मौजा के भूमि मालिक, कृषक़, खेत मजदूर, वर्गदारों ने प्रतिवाद में जुलूस निकाल कर इलाके में लोगों को अांदोलन के िलये एकत्र कर रहे हैं. विक्षुब्ध कृषकों का साफ कहना है कि उद्योग के िलये आवंटित 300 एकड़ भूमि पर अन्य कुछ भी बनने नहीं दिया जायेगा. यदि राज्य सरकार आवंटित भूमि पर उद्योग लगाती है तो हम स्वागत करेंगे अन्यथा हमारी भूमि वापस की जाये. विश्व विद्यालय यहां बनने नहीं दिया जायेगा. अनिच्छुक भूमि मालिकों का आरोप है कि बिना बातचीत िकये यहां पर निर्माण कार्य नहीं करने िदया जायेगा. हमलोग राज्य सरकार व प्रशासन से आग्रह करते हैं कि विश्वबंग विश्वविद्यालय का काम रोक दिया जाये. यदि ऐसा नहीं होता है तो उग्र आंदोलन का पथ अपनाना पड़ेगा.
इधर जिला प्रशासन सूत्र का कहना है कि उक्त भूमि पर प्रस्तावित विश्वबंग विश्वविद्यालय ही बनेगा.क्षेत्र के भूमि मालिकों का आरोप है कि भूमि आवंटन के दौरान घोषित पैकेज पर भी सरकार मुकर रही है. हमारी मांग है कि उद्योग लगता है प्रत्येक भूमिदाता परिवार के एक सदस्य को औद्योगिक क्षेत्र में नौकरी उपयुक्त मुआवाजा तथा बकाया रकम चुकानी होगी. वर्ष 2001 में ही उद्योग स्थापना के िलये कृषकों की इच्छा के बाद वामफ्रंट सरकार ने 300 एकड़ भूमि आवंटित की थी. तब से आवंटित भूमि जस की तस पड़ी हुई थी. राज्य में नई सरकार ने भी चुनाव पूर्व यहां उद्योग लगाने का ही आश्वासन देकर राज्य में सत्ता परिवर्तन किया था लेकिन दूसरा टर्म आने तक भी यहां मौजूदा सरकार ने कोई उद्योग स्थापित नहीं किया.
अचानक मुख्यमंत्री ने घोषणा कर दी िक उक्त भूमि पर आइटी हॉब व विश्वबंग विश्वविद्यालय बनाया जायेगा. इस घोषणा के बाद ही स्थानीय भूमि मालिक व कृषक भड़क गये. मामला तब और बिगड़ा जब बकाया पैकेज व बातचीत नहीं की गयी और चारदीवारी का काम शुरू हो गया. जिस सरकार व मुख्यमंत्री पर ग्रामीणाों व कृषकों ने भरोसा िकया उसी ने धोखा किया. यह मानना है भूमि मालिकों का.
विक्षुब्ध कृषक का साफ कहना है कि अब यह आंदोलन जारी रहेगा. यदि सरकार विश्वविद्यालय का काम नहीं बदं करती है तो आंदोलन जारी रहेगा. यदि उद्योग लगता है तो हम आंदोलन उठा लेंगे.
यदि उद्योग नहीं लगता है तो हमारी भूमि वापस करनी होगी. विक्षुब्ध भूमि मालिकों व कृषकों का कहना है कि हम एक दो दिन शक्ति प्रदर्शन नहीं करेंगे. यदि इस बीच भी हमारी मांग पर अमल करते हुये बातचीत नहीं की गई तो भांगड़ा और आउसग्राम की तरह उग्र आंदोलन को बाध्य होना पड़ेगा.
बताया जाता है कि निर्माण कार्य स्थल पर पुलिस मुस्तैदी से टहलदारी चला रही है. तृणमूल जिला पार्टी अध्यक्ष अनुव्रत मंडल का कहना है कि कृषकों को किसी राजनीतिक दल द्वारा भड़काया जा रहा है. यदि विश्वविद्यालय यहां बनता है तो रोजगार भी बढ़ेगा. अब तो समय ही बतायेगा कि कृषकों का यह शांति जुलूस कब उग्र जुलूस में बदलकर भांगड़ की पुनरावृति करता है.

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