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सुरभि के लीवर से इटालियन व्यवसायी को मिला नया जीवन

अपोलो अस्पताल (कोलकाता) से हुआ रिलीज, बहन संग लौटा चेन्नई ब्रेन डेड घोषित होने के बाद सुरभि के पिता ने किये थे उसके पांच अंग दान लीवर कैंसर से पीड़ित रिलेजा के लिए लीवर बदलना ही था अंतिम विकल्प आसनसोल : बीसी कॉलेज रोड निवासी तथा पेशे से व्यवसायी अशोक बराट की 22 वर्षीया बेटी […]

अपोलो अस्पताल (कोलकाता) से हुआ रिलीज, बहन संग लौटा चेन्नई
ब्रेन डेड घोषित होने के बाद सुरभि के पिता ने किये थे उसके पांच अंग दान
लीवर कैंसर से पीड़ित रिलेजा के लिए लीवर बदलना ही था अंतिम विकल्प
आसनसोल : बीसी कॉलेज रोड निवासी तथा पेशे से व्यवसायी अशोक बराट की 22 वर्षीया बेटी सुरभि बराट के लीवर से इटली मूल के व्यवसायी तथा चेन्नई निवासी रेलिजा उविलिक (57) को नया जीवन दान मिला.
इसे अपोलो अस्पताल (कोलकाता) से छुट्टी मिल गयी. अपनी बहन मिलिका के साथ वह चेन्नई के लिए रवाना हुआ. सनद रहे कि ब्रेन टय़ूमर से पीड़ित तथा पेशे से नर्स सुरभि को बीते 22 दिसंबर को अपोलो अस्पताल में इलाज के दौरान ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया था. इसके बाद उसके पिता श्री बराट ने उसकी दोनों किडनी, लीवर तथा दोनों आंखें दान करने की घोषणा की थी. वही लीवर रेलिजा को लगाया गया था.
अस्पताल से निकलने के दौरान रेलिजा ने बताया कि वह वर्ष 2010 से क्रोनिक लीवर की बीमारी से पीड़ित था. काफी इलाज के बाद भी अगस्त, 2016 में उसे लीवर कैंसर हो गया. चिकित्सकों ने स्पष्ट कह दिया कि बिना शीघ्र लीवर बदले उसका अधिक दिनों तक बचे रहना मुश्किल है.
इटली से आयी इसकी बहन मिलिका ने कहा कि वर्ष 1960 के दौर में उसके पिता भारत में युगोस्वाविया के राजदूत थे. वर्ष 1970 के बीच वे इटली लौट गये. बाद में इटली में हुयी कार दुर्घटना में उनकी मौत हो गयी. वह दो बहन तथा एक भाई है. उसने कहा कि जब उसके भाई को लीवर कैंसर होने तथा लीवर बदलने की आवश्यकता की जानकारी मिली तो पूरा परिवार सन्न रह गया. इसके बाद परिजनों ने पूरे यूरोप में लीवर डोनर के लिए तलाश शुरू की. काफी प्रयास के बाद भी उन्हें सफलता नहीं मिली तथा उन्हें बताया गया कि यूरोप में लीवर डोनर मिलने में कम से कम दो वर्ष का समय लग जायेगा. इसके बाद रेलिजा को चेन्नई (भारत) में शिप्ट किया गया. लीवर डोनेशन के लिए अपोलो अस्पताल (चेन्नई) में निबंधन कराया गया.
रेलिजा ने कहा कि दिसंबर माह में उसकी बात उसकी बहन मिलिका से हुयी थी. उसने अपनी बहन को कहा था कि वह यह क्रिसमस उसके साथ बिताना चाहता है. उसके इस प्रस्ताव को उसकी बहन ने स्वीकार कर लिया तथा बीते 23 दिसंबर को वह चेन्नई आ गयी. उसका आना उसके लिए काफी शुभ रहा, क्योंकि उसके तुरंत बाद उसे अपोलो अस्पताल से सूचित किया गया कि कोलकाता में लीवर डोनर मिल गया है तथा उसका ब्लड ग्रुप भी मैच कर रहा है. उसने अपनी बहन के साथ हवाई जहाज का टिकट बुक कराया ताकि वह 25 दिसंबर को कोलकाता पहुंच सके. उसने कहा कि जब वे हवाई अड्डे पर पहुंचे तो अपोलो अस्पताल से पुन: कॉल आया कि डोडर इसके लिए तैयार नहीं हो रहा है तथा डर रहा है.
दोनों भाई-बहनों को काफी निराशा हुयी तथा दोनों हवाई अड्डे से वापस लौट गये. लेकिन घर पहुंचते ही पुन: कॉल आया कि डोनर तैयार हो गये हैं. इसके बाद उन्होंने पुन: विमान पकड़ा तथा 25 दिसंबर की दोपहर कोलकाता आ गये. अपोलो अस्पताल (चेन्नई) के चिकित्सक डॉ आनंद कक्कर ने अपनी टीम के साथ उसका उसी दिन ऑपरेशन किया. उसने कहा कि ऑपरेशन के लिए जाते समय उसे लगा कि यह उसका आखिरी ऑपरेशन है. लेकिन उसकी किस्मत अच्छी थी. ऑपरेशन सफल रहा. उसे नया जीवन मिल गया. सुरभि के पिता अशोक से उसकी मुलाकात ऑपरेशन के पहले हुयी थी.
उसने उनके प्रति आभार भी जताया था. उसने कहा कि उसे अस्पताल से छुट्टी मिल गयी है. सुरभि के पिता के कारण उसे नया जीवन मिला है. वह उसकी बेटी की कमी तो पूरा नहीं कर सकता, लेकिन पूरे जीवन उनका आभार जताता रहेगा. सुरभि के पिता श्री बरात ने कहा कि उन्हें भी खुशी है कि सुरभि के कारण पांच लोगों के जीवन में खुशियां लौट आयी है. अपोलो अस्पताल के प्रबंध निदेशक महेश गोयनका ने कहा कि रिलेजा के संकट के दिन बीत गये हैं. कुछ ही दिनों के बाद वह सामान्य जीवन जीने लगेगा. जब तक लीवर नहीं बदला गया था, तभी तक उसके जीवन पर खतरा था.

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