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दामोदर पर आसनसोल, दुर्गापुर महकमा का अधिकार नहीं
कार्रवाई. बालू तस्करी पर रोक लगने से महकमा में निर्माण कार्य हो गये पूरी तरह ठप्प आसनसोल/रुपनारायणपुर : दामोदर नदी के बालू पर बर्दवान जिले के आसनसोल और दुर्गापुर महकमा प्रशासन का कोई कानूनी अधिकार नहीं है. इसके बालू पर बांकुड़ा तथा पुरुलिया जिला का अधिकार है. राज्य सरकार के खनन विभाग ने दामोदर नदी […]
कार्रवाई. बालू तस्करी पर रोक लगने से महकमा में निर्माण कार्य हो गये पूरी तरह ठप्प
आसनसोल/रुपनारायणपुर : दामोदर नदी के बालू पर बर्दवान जिले के आसनसोल और दुर्गापुर महकमा प्रशासन का कोई कानूनी अधिकार नहीं है. इसके बालू पर बांकुड़ा तथा पुरुलिया जिला का अधिकार है. राज्य सरकार के खनन विभाग ने दामोदर नदी के इन दो किनारे से हो रहे बालू के अवैध उठाव को बंद कर दिया है. इस कारण इन दो महकमा इलाकों में बालू का संकट पिछले कई महीनों से गहराता जा रहा है. स्थिति यह है कि प्रमोटर से लेकर आम नागरिक तक अपना कोई भी पक्का निर्माण नहीं कर पा रहा है. अन्य इलाकों से आ रहा बालू या फिर चोरी के बालू की कीमत आम कीमत से पांच गुणा अधिक हो गयी है.
प्रशासनिक अधिकारी कानूनी विवशता बता हाथ खड़ा कर रहे हैं. फलस्वरूप नोटबंदी की मार ङोल रहे निर्माण कार्य में लगे श्रमिकों के रोजगार पूरी तरह से ठप पड़ गये हैं. महकमा भूमि व भूमि राजस्व अधिकारी तन्मय राय ने कहा कि कानूनी स्तर पर दामोदर नदी के बालू पर बर्दवान जिले के इन दो महकमा प्रशासन का कोई अदिकार ही नहीं है. इस कारण वैध तरीके से इस नदी से इस किनारे से बालू का उठाव हो ही नहीं सकता है. इस नदी से बालू का लीज देने का अधिकार बांकुड़ा जिला प्रशासन को ही है. बांकुड़ा जिला में संबंधित विभाग ने इसके लिए घाटों का आवंटन कर दिया है.
उन्होंने कहा कि कुल्टी थाना अंतर्गत बराकर नदी में तथा बाराबनी व जामुड़िया थाना क्षेत्र में अजय नदी में बालू ब्लॉक बनाने की प्रक्रिया चल रही है.
कैसे होता था अवैध कारोबार: विभागीय सूत्रों के अनुसार शिल्पांचल में जिस तेजी से नये निर्माण हो रहे है, उसे पूरा करने के लिए प्रतिदिन एक लाख सीएफटी बालू की जरुरत होती है. पहले इस जरुरत को दामोदर नदी, अजय नदी और बराकर नदी के बालू से पूरा किया जाता था. जरुरत की अधिकांश बालू अवैध होता था. राज्य सरकार ने इन्हें वैद्य करने की प्रक्रिया शुरू की तथा बालू की अवैध उठाई को केंद्र कर छापेमारी शुरू की. एक ट्रक बालू पकड़े जाने पर 20 से 45 हजार रुपये तक का जुर्माना वसूला गया. हालांकि कुछ बालू घाट शॉर्ट टर्म लीज पर थे. कोलकाता उच्च न्यायालय के निर्देश पर शॉट टर्म लीज की प्रक्रिया बंद हो गयी.
लाँग टर्म लीज में व्यवसाइयों का आग्रह कम रहा जिससे शिल्पांचल में अवैध बालू का कारोबार धड़ल्ले से आरंभ हो गया. इसके तहत नदी में बालू घाट को स्थानीय कुछ दबंग अपने कब्जे में ले लेते थे. सौ सीएफटी बालू पर दो सौ से चार सौ रुपये तक रॉयल्टी के नाम पर अवैध वसूली होती है. बदले में दबंगों द्वारा घाट तक गाड़ी आने के लिए सड़कों का निर्माण कर दिया जाता था. घाट से पक्की सड़क तक गाड़ी की जिम्मेदारी दबंगो की होती थी. उसके उपरांत गाड़ी की जिम्मेदारी गाड़ी मालिक की थी. बारिश से पहले नदी किनारे ही बालू का स्टॉक किया जाता था. स्टॉक का बालू पुन: वहां से ले जाने के लिए भी 50 से 100 रुपया प्रति 100 सीएफटी बालू पर रॉयल्टी वसूली जाती थी. अजय , दामोदर और बराकर नदी में दर्जनों घाट बनाकर बालू का अवैध कारोबार चलता था.
शिल्पांचल में अजय ही एकमात्र स्त्रोत: दामोदर,बराकर और अजय नदी से तीनों ओर से घिरे रहने के बावजूद भी शिल्पांचल में अजय नदी के अलावा अन्य किसी नदी के बालू पर बर्दवान जिला का कोई अधिकार नहीं है. पानागढ़ के बाद से दामोदर नदी का कुछ हिस्सा बर्दवान से होकर गुजरता है. इसलिए शिलपांचल में दामोदर नदी में बालू का कोई ब्लॉक नहीं बन रहा है. बराकर नदी का कुछ हिस्सा पुरुलिया जिला और झारखंड राज्य में है.
बर्दवान जिला में नदी का हिस्सा है या नहीं. इसको लेकर नापी की जा रही है. यदि नदी का हिस्सा बर्दवान में निकलता है और वहां बालू निकालने की सारी सुविधा मिलती है तो वहां ब्लॉक बनाने को लेकर प्रयास किया जायेगा. अजय नदी का कुछ हिस्सा बर्दवान जिला से होकर गुजरता है. अजय नदी सालानपुर, बाराबनी और जामुड़िया प्रखंड से होकर गुजरती है. सालानपुर में चित्तरंजन घाट पर पांच एकड़, 6.8 एकड़, 7.6 एकड़ और छह एकड़ के चार ब्लॉक बनाकर इसे ई ऑक्सन में डाला गया है. 14 दिसंबर को बोली लगायी जा सकेगी. बाराबनी प्रखंड में रुनाकुड़ा घाट पर दस एकड़ जमीन की रिपोर्ट तैयार कर जिला स्तरीय अधिकारी को भेजा गया है. सर्वे के बाद ब्लॉक बनाकर ई ऑक्सन में डाला जायेगा. जामुड़िया प्रखंड में चिचूड़ बिल और देशेरमन दो मौजा मिलाकर चुरुलिया घाट पर चार एकड़ और दरबाडांगा में पांच एकड़ जमीन चिंहित की गयी है.
कैसे बन रहे हैं बालू के ब्लॉक
अवैध बालू के कारोबार को नियंत्रित करने के लिए राज्य सरकार ने बालू ब्लॉक बनाकर आवंटन करने का निर्णय लिया है. सरकारी स्तर पर नदी में पांच से सात एकड़ जमीन का ब्लॉक तैयार करने का कार्य संबंधित बीएलएंडएलआरओ को सौंपा गया है. जिस बीएलएंडएलआरओ के क्षेत्र में जो भी नदी स्थित है, उसमें से बालू निकालने की सही व्यवस्था है या नहीं, बालू ले जाने के लिए सड़क आदि पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर प्रत्येक प्रखंड स्तरीय भूमि व भूमि राजस्व अधिकारी को जिला स्तरीय अधिकारी को भेजना होगा. उस रिपोर्ट के आधार पर भौगोलिक सर्वे कराया जायेगा. सर्वे में सब कुछ ठीक होने पर जीपीएस के माध्यम से एजेंसी द्वारा पांच से सात एकड़ का एक-एक ब्लॉक तैयार किया जायेगा. उसके उपरांत नीलामी के लिए ब्लॉक को ई ऑक्शन में डाला जायेगा. यह सारे ब्लॉक लाँग टर्म लीज में दो से दस साल तक के लिए आवंटित होंगे. लीज अवधि के मामले में जिला शासक निर्णय लेंगे.
बालू की कीमत में बेतहाशा वृद्धि
शिल्पांचल में एक लाख सीएफटी बालू की जरुरत प्रतिदिन होती है. सबसे अधिक खपत आसनसोल में है. चित्तरंजन, बाराबनी या जामुड़िया से आसनसोल शहर तक ट्रांसपोर्टिग खर्च बालू के कीमत से चार गूणा ज्यादा होगा. चित्तरंजन के बालू ब्लॉक में बोली लगानेवाले काशीनाथ ने बताया कि नीलामी के बाद बालू की कीमत छह से सात सौ रुपया सीएफटी होने का अनुमान है.
लोकल में ही बालू की कीमत 12 सौ से 15 सौ रुपये प्रति ट्रेक्टर हो जायेगी. जो पहले पांच सौ रुपया में बिकता था. शिल्पांचल में बालू की कीमत वर्तमान दर से चार गूणा तक बढ़ सकती है.
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