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लोक आस्था का महापर्व छठ नहाय खाय के साथ आज से शुरू

7 नवंबर को प्रात:कालीन अर्घ्य के साथ होगा संपन्न दुर्गापुर. लोकआस्था का महापर्व छठ नहाय खाय के साथ शुक्रवार से आरंभ हो रहा है. सात नवंबर को प्रात:कालीन अर्घ्य के साथ संपन्न होगा. छठ को लेकर तैयारियां जोर-शोर से जारी हैं. दुर्गापुर शहर सहित आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों में लोकआस्था के महापर्व छठ को लेकर […]

7 नवंबर को प्रात:कालीन अर्घ्य के साथ होगा संपन्न
दुर्गापुर. लोकआस्था का महापर्व छठ नहाय खाय के साथ शुक्रवार से आरंभ हो रहा है. सात नवंबर को प्रात:कालीन अर्घ्य के साथ संपन्न होगा. छठ को लेकर तैयारियां जोर-शोर से जारी हैं.
दुर्गापुर शहर सहित आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों में लोकआस्था के महापर्व छठ को लेकर तैयारी अब अंतिम चरण में है. दुर्गापुर के कुमार मंगलम पार्क, बेनाचिति स्थित धर्मा तालाब, धंधाबाग तालाब, सुकांत पल्ली तालाब, सेकेंडरी तालाब, ट्रंक रोड, हॉस्टल स्थित शिवमंदिर तालाब आदि जगहों पर छठ पूजा का आयोजन होता है. छठ के मौके पर प्रतिवर्ष बड़े पैमाने पर लोगों की भीड़ होती है. झारखंड, बिहार, ओडिसा, उत्तरप्रदेश के लोगों के अलावा बंगाली, पंजाबी, गुजराती, मुसलमान और मारवाड़ी समुदाय के लोग भी कुमारमंगलम पार्क और धर्मा तालाब सहित अन्य छठ घाटों से पूजा करते हैं. छठ पर्व को लेकर उत्साह का माहौल है. छठ पर्व में उपयोग में लाए जाने वाले सभी सामान जुटाने की कवायद की जा रही है. वहीं विभिन्न छठ पूजा कमेटियों द्वारा शांतिपूर्ण और सौहार्द के वातावरण में छठ पूजा को सम्पन्न कराने तथा छठ व्रतियों के सुविधा हेतु छठ घाट से लेकर पहुँच पथ पर हर सम्भव व्यवस्था की जा रही है.
कठिन तपस्या है लोकपर्व छठ
लोक पर्व छठ कठिन तपस्या है. इसमें न कोई पंडित होता है और न कोई जात-पात. छठी माता के साथ इसमें सूर्य की आराधना होती है. पूजा में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री भी प्राकृतिक होती है. उल्लास से लबरेज इस पर्व में सेवा और भक्ति भाव का विराट रूप दिखता है. यह पर्व नहाय-खाय के साथ शुरू होता है. छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष इसकी सादगी पवित्रता और लोकपक्ष है. भक्ति और अध्यात्म से परिपूर्ण इस पर्व के लिए न विशाल पंडाल की जरूरत होती है और न ही भव्य सजे मंदिर और मूर्तियों की. सभी तरह के शोर से दूर यह पर्व बांस निर्मित सूपों व टोकरी, मिट्टी के बर्तनों और गन्ने के रस, गुड़, चावल, गेहूं से निर्मित प्रसाद और सुमधुर लोकगीतों से युक्त होकर लोकजीवन की मिठास का प्रसार करता है. इस पर्व का केंद्र वेदपुराण जैसे धर्मग्रंथ न होकर किसान और ग्रामीण जीवन है.
छठ को लेकर बाजार में चीजों के दाम आसमान छू रहे
दुर्गापुर. छठ को लेकर बाजार में चहल-पहल बढ़ गई है. पूजन व प्रसाद में प्रयुक्त सभी चीजों के दाम आसमानी हो रहे हैं. मांग को पूरा करने के लिए देश के कोने-कोने से सामान मंगाए जा रहे हैं. भाव में तेजी लगातार जारी है. छठ पर्व नहाय खाय के साथ शुक्रवार से आरंभ है. इस दिन व्रती कद्दू-भात खाते हैं. साथ में होती है धनिया पत्ते की चटनी. व्रती अगस्त के फूल की पकौड़ी भी बनाते हैं. इसके मद्देनजर कद्दू, धनिया पत्ती व अगस्त के फूल के दाम चढ़ गये हैं. चार दिवसीय छठ महापर्व के शुरू होने के पहले ही सभी चीजों के भाव आसमान छूने लगे हैं. अगस्त का फूल तो अभी ही 400 रुपये किलो पर पहुंच गया है. कद्दू का भी रेट बढ़ता जा रहा है. एक दिन पहले यह 20 रुपये किलो था. आज मंडी में 25 और गली-मोहल्लों में 30 रुपये पर पहुंच गया. अनुमान है कि अगस्त का फूल 800 रुपये किलो तक बिक जायेगा, जबकि कद्दू 35 से 40 रुपये किलो तक जा सकता है.
धनिया पत्ता पहले से ही तल्ख है. मंडी में यह 80 रुपये और खुदरा विक्रेताओं के यहां 120 रुपये किलो बिक रहा है. इसमें भी 20 से 30 रुपये की और वृद्धि हो सकती है. छठ को लेकर चना व दाल के भाव में भी तेजी आ गई है. बेसन-सत्तू भी महंगे हो गये हैं. चीनी का भी लगभग यही हाल है. हालांकि गुड़ की खरीदारी में कुछ राहत मिल रही है. छठ का प्रसाद बनाने में गुड़ का खूब उपयोग होता है. फलों का बाजार भी गर्म होता जा रहा है. अभी से ही शेव 80 से 100 रूपये किलो तक पहुंच गया है. अनार 100 से 140 रुपये किलो बिक रहा है. अमरुद की कीमत में राहत है. गन्ना 25 से 40 रु पया जोडा बिक रहा है.

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