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सरकार कवि नजरूल से जुड़ी स्मृतियों को ऐतिहासिक धरोहर घोषित करे : बांग्ला पक्ष

आसनसोल : कवि काजी नजरूल इस्लाम की स्मृति को चिंहित कर इसे ऐतिहासिक धरोहर के रूप में संरक्षित करवाने के उद्देश्य से गुरुवार को बांग्ला पक्ष के सदस्यों ने आसनसोल स्थित एमए बक्स एंड संस बेकरी शॉप का दौरा किया. काजी नजरूल इस्लाम इस बेकरी शॉप में वर्ष 1913 में एक माह के लिए काम […]

आसनसोल : कवि काजी नजरूल इस्लाम की स्मृति को चिंहित कर इसे ऐतिहासिक धरोहर के रूप में संरक्षित करवाने के उद्देश्य से गुरुवार को बांग्ला पक्ष के सदस्यों ने आसनसोल स्थित एमए बक्स एंड संस बेकरी शॉप का दौरा किया. काजी नजरूल इस्लाम इस बेकरी शॉप में वर्ष 1913 में एक माह के लिए काम किये थे. इस शॉप को उनकी स्मृति के रूप में चिन्हित कर ऐतिहासिक धरोहर के रूप में संरक्षित करने की मांग सदस्यों ने की.

अवसर पर स्कॉटलैंड (यूनाईटेड किंगडम) स्थित एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी के डेपुटी डीन ऑफ रिसर्च प्रोफेसर एडवर्ड होलिश, स्कॉटलैंड के पेंटर पॉल गिल्लिंग, मुंबई अर्बन हेरिटेज कंजर्वेटीनिस्ट के कोमलिका बासु, काजी नजरूल यूनिवर्सिटी के अंग्रेजी विभाग के प्रोफेसर सह हेरिटेज एक्सपर्ट कमेटी आसनसोल के सदस्य डॉ शांतनू मुखर्जी, रवि चटर्जी, बांग्ला पक्ष के सलाहकार सह कवि तीर्थ चुरूलिया नजरूल विद्यापीठ के प्रधानाध्यापक दीपंकर मजूमदार, जिला कमेटी सदस्य मानस दास, सम्राट कर आदि उपस्थित थे.

सनद रहे कि काजी नजरूल इस्लाम शिल्पांचल के विभिन्न इलाकों में रहे हैँ. वर्ष 1913 में वे आसनसोल में थे. उनके भतीजे काजी रिजाउल करीम ने बताया कि वे बेतरतीब जीवन शैली जीते थे.
वर्ष 1913 में उनकी गायिकी को सुनकर आसनसोल के तत्कालीन रेलवे के एक गार्ड ने उन्हें अपने यहां ले आये. उसी दौरान वे एक माह के लिए एमए बक्स एंड संस बेकरी शॉप में काम किये थे.
उनकी प्रतिभा को देखते हुए आसनसोल के तत्कालीन दरोगा काजी रजिफुल्ला अपने साथ उन्हें लेकर पूर्व बंगाल चले गये. जहां वे एक साल की पढाई करने के बाद वापस लौट आये. यहां उन्होंने रानीगंज के सियारसोल में कक्षा नौ और दस की पढाई पूरी की.
काजी नजरूल जिस बेकरी शॉप में काम किये थे, उस शॉप को उनकी स्मृति के रूप में ऐतिहासिक धरोहर घोषित कर संरक्षित कराने को लेकर एमए बक्स एंड संस बेकरी शॉप पर बांग्ला पक्ष की टीम गुरुवार को पहुंची. टीम सदस्यों ने बेकरी शॉप पर काजी नजरूल छात्र जीवन में इस बेकरी शॉप में काम करते थे संदेश लिखा एक बोर्ड लगाया. प्रोफेसर एडवर्ड होलिश ने कहा कि बांग्ला के महान कवि काजी नजरूल ने अपनी प्रतिभा से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बंगाल का नाम रोशन किया है.
बहुमुखी प्रतिभा के धनी कवि नजरूल लेखक, आलोचक, सिपाही कई रूपों में अपने जीवन को जीये. नजरूल की रचनाएं भारत ही नहीं पूरे विश्व के लोग उत्साह के साथ गुनगुनाते हैँ. उन्होंने आज के दिन को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि हमें आसनसोल से जुड़े कवि के स्मरण, स्मृतियों और उपलब्धियों को संजोकर अगली पीढ़ी के लिए बचा कर रखना है. मुंबई अर्बन हेरिटेज कंजर्वेटीनिस्ट के कोमलिका बासु ने कहा कि सिटी ऑफ ब्रदरहुड शहर आसनसोल में हर जाति, भाषा और देश के हर प्रांत के लोग मिलजुल कर एक साथ रहते हैँ.
यह सौभाग्य की बात है कि जिस स्थल पर समारोह का आयोजन किया गया है. वहां कवि नजरूल से जुड़ी कई स्मृतियां हैँ. एमए बक्स एंड संस बेकरी शॉप के संचालक के पास कवि नजरूल द्वारा उपयोग किये गये कुर्सियां, टेबल, पुस्तक और लेखन सामग्रियां हैँ. उन्होंने इन सभी को अगली पीढ़ी के लिए संजो कर रखने का सुझाव दिया.
उन्होंने कहा कि देश विदेश से भारत आने वाले नजरूल शोध कार्य से जुड़े शोधार्थी जब नजरूल की जन्म भूमि जाते हैं तो उन्हें आसनसोल में कवि से जुड़े अन्य स्थानों को जानने की उत्सुकता रहती है. प्रोफेसर शांतनू मुखर्जी ने कवि नजरूल को बांग्ला का गर्व बताते हुए उनकी स्मृतियों को संजोकर रखने और भावी पीढ़ी के लिए संरक्षित रखने को कहा. उन्होंने कहा कि बांग्ला पक्ष की टीम द्वारा एक कमेटी गठित की जायेगी. कमेटी सदस्य ऐतिहासिक हेरिटेज संस्थानों से सुझाव लेकर आगे काम करेगी.
बांग्ला पक्ष सदस्यों ने कवि नजरूल के फोटो पर माल्यार्पण किया. सदस्यों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत कवि नजरूल की कविताओं को प्रस्तुत किया गया.

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