कोलकाता : सिगरेट व अन्य तंबाकू नियंत्रण अधिनियम 2003(कोटपा) पूरे राज्य में लागू है. इस अधिनियम के अनुसार सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान पर प्रतिबंध है, जबकि शैक्षणिक संस्थानों के साथ-साथ मंदिर, मसजिद आदि की 100 मीटर की परिधि में तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर भी प्रतिबंध है.
इस अधिनियम को लागू कराने के लिए थानाध्यक्ष तक को जिम्मेवारी दी गयी है. लेकिन विडंबना यह है कि चौक-चौराहा हो या सार्वजनिक स्थल इस कानून का धुआं सरेआम उड़ाया जा रहा है. अधिनियम को लागू कराने के प्रति प्रशासन उदासीन है, तो आम लोग भी इस अधिनियम के प्रति जागरूक नहीं है. लिहाजा न तो किसी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई होती है और न ही इस दिशा में कोई कवायद ही देखने को मिलती है.
लागू है कोटपा अधिनियम 2003
सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान से जुड़ा कानून कोटपा 2003 पूरे राज्य में लागू है. इसकी धारा 4,5,6,7,8 व 9 के प्रभारी क्रियान्वयन के लिए थाना प्रभारियों के अलावा अन्य अधिकारियों को जिम्मेवारी दी गयी है. जिम्मेवार अधिकारियों को छापेमारी करनी है और नियमों का उल्लंघन करने के खिलाफ जुर्माना भी किया जाना है. जुर्माना के लिए अधिकारियों को चालान भी उपलब्ध कराया गया है, लेकिन यह चालान केवल दफ्तरों की शोभा ही बढ़ा रहा है. सार्वजनिक जगहों पर न केवल तंबाकू उत्पाद बेचे जा रहे हैं, बल्कि पीये भी जा रहे हैं.
जुर्माना लेने में बंगाल पीछे
कोटपा अधिनियम का उल्लंघन करनेवालों से अन्य राज्यों ने जुर्माना वसूला है, लेकिन बंगाल सरकार इसे लेकर उदासीन है. बंगाल सरकार ने कोटपा के तहत कितनी राशि वसूली है, इसकी जानकारी भी उनके पास नहीं है. केरल ने एक साल में 2,72,66,600 रुपये, कनार्टक ने 1,60,51,276 रुपये, गुजरात ने 39,97,025 रुपये, बिहार ने 2,79,435 रुपये, ओड़िशा ने 2,79,435 रुपये व गोवा सरकार ने 4,79,300 रुपये वसूले हैं.