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घर आये योगी को बताया अपना खोया बेटा

कुल्टी : स्थानीय पत्थरखाद इलाके से 11 वर्ष की आयु में घर से लापता होकर योगी बनने तथा 14 साल बाद अपनी मां से भिक्षा व पुराने कपड़े मांगने आये पप्पू कुमार दास को उसकी मां ने पहचान लिया. इसके पहले कि उसकी मां पड़ोसियों की मदद से उसे अपने घर में रोक पाती, वह […]

कुल्टी : स्थानीय पत्थरखाद इलाके से 11 वर्ष की आयु में घर से लापता होकर योगी बनने तथा 14 साल बाद अपनी मां से भिक्षा व पुराने कपड़े मांगने आये पप्पू कुमार दास को उसकी मां ने पहचान लिया. इसके पहले कि उसकी मां पड़ोसियों की मदद से उसे अपने घर में रोक पाती, वह अपने सहयोगी के साथ निकल गया. जानकारों के अनुसार वह अपनी सिद्धि के लिए मां से भिक्षा लेने आया था.

करीब 11 वर्ष पहले पत्थरखाद निवासी तथा सेल कोलियरी डिवीज़न रामनगर कोलियरी में कार्यरत लालचंद मोची का 14 वर्षीय पुत्र अचानक लापता हो गया. काफी तलाश करने के बाद बी कोई सुराग नहीं मिलने पर परिजनों ने कुल्टी थाने में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज करा दी. इसके बाद पप्पू की कोई जानकारी नहीं मिली. अधिसंख्य परिजन उसे भूल गये थे. पड़ोसियों ने उसकी वापसी की आस छोड़ दी थी. परन्तु उसकी मां ने आस नहीं छोड़ी थी. उसे अपने बेटे के आने का इंतजार था.
बुधवार की सुबह दो योगी अचानक पत्थरखाद इलाके में पहुंचे. उसमे से एक योगी की उम्र करीब 25 साल थी. दोनों ने लालचंद मोची के घर जा कर भिक्षा मांगी. लालचंद की पत्नी घर से बाहर आयी तो उस योगी ने कहा कि माता भिक्षा दो और पुराने बस्त्र हों तो उसे भी दो. यह सुनकर और योगी को देखकर मां की ममता उजागर हो गई और वह युवा योगी को पकड़ कर जोर-जोर से रोने लगी. उसका दावा था कि वह योगी उसका खोया बेटा पप्पू ही है.
परिजन तथा पड़ोसी बड़ी संख्या में जमा हो गये. हालांकि योगी का कहना था कि इस परिवार से तथा कुल्टी से उसका कभी भी संबंध नहीं रहा है. उसके बचपन की कई बातों की चर्चा उसके सामने की गई लेकिन वह सारी बातों का खंड़न करता रहा. मां ने अपने हाथ से खाना खिलाना चाहा परन्तु योगी ने अस्वीकार कर दिया.
बहुत दबाव डालने पर उसने सिर्फ पानी पीया. वह वापस वहां से जाने को अड़ गया. लालचंद ने सभी लोगो के सामने दावा किया कि उसके खोये बेटे की दाहिनी कलाई पर उसका नाम लिखा है. योगी कलाई दिखा दे, परन्तु योगी ने ऐसा नहीं किया. योगी ने कहा कि वह गुरुवार को पुन: आयेगा और कलाई भी दिखायेगा. इसके बाद योगी अपने साथी के साथ वापस जाने में कामयाब हो गया.
लोगों में यह घटना चर्चा का विषय बना हुआ है. आचार्य विनोद कुमार ने बताया कि योगी बनाने के बाद 11 से 13 वर्ष के अंतराल में अपनी मां से पुराने वस्त्र लेने अपने घर आने की परंपरा है. तभी सिद्धि मिलती है.

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