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मेडिकल अनफिट मामले में कमेटी गठित

सांकतोड़िया : मेडिकल अनफिट कोयला कर्मियों के आश्रितों को नौकरी देने के मुद्दे पर उच्च स्तरीय कमेटी निर्णय लेगी. कोल इंडिया के कार्मिक निदेशक की अध्यक्षता में गठित इस कमेटी में वरिष्ठ अधिकारियों समेत गैर इंटक चारों केंद्रीय यूनियनों के प्रतिनिधि शामिल हैं. ईसीएल में 350 समेत सभी कंपनी मिलाकर लगभग 1500 मामले लंबित पड़े […]

सांकतोड़िया : मेडिकल अनफिट कोयला कर्मियों के आश्रितों को नौकरी देने के मुद्दे पर उच्च स्तरीय कमेटी निर्णय लेगी. कोल इंडिया के कार्मिक निदेशक की अध्यक्षता में गठित इस कमेटी में वरिष्ठ अधिकारियों समेत गैर इंटक चारों केंद्रीय यूनियनों के प्रतिनिधि शामिल हैं. ईसीएल में 350 समेत सभी कंपनी मिलाकर लगभग 1500 मामले लंबित पड़े हुए हैं.
कोयला खदान में कार्यरत कर्मी दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल होने या फिर किसी बीमारी की वजह से काम करने में अक्षम हो जाते हैं. इन कर्मियों को कंपनी स्तर पर गठित मेडिकल बोर्ड जांच के बाद इन कर्मियों को कार्य के लिए शारीरिक रूप से अयोग्य करार देता है. इसके बाद इन श्रमिकों के आश्रितों को अनुकंपा के आधार पर नौकरी दी जाती है. मेडिकल अनफिट को लेकर कई बार शिकायत समय-समय पर होती रही है.
मेडिकल बोर्ड पर सवाल उठते रहे हैं कि योग्य व्यक्ति को मेडिकल अनफिट करा आश्रित को नौकरी दी गई और जो वास्तव में मेडिकल अनफिट है, उनसे काम कराया जा रहा है. प्रबंधन ने एनसीडब्ल्यूओ की धारा 9:4:0 के तहत मेडिकल अनफिट के आधार पर मिलनेवाली अनुकंपा नियोजन को बंद करने का निर्णय लिया, पर श्रमिक संघ प्रतिनिधियों के प्रतिवाद की वजह से अभी इस पर अंतिम निर्णय नहीं हो सका है.
प्रबंधन ने मेडिकल अनफिट के सभी प्रकरण पर फिलहाल रोक लगा रखी है. इस मुद्दे पर निर्णय लेने हेतु कमेटी बनाई गई थी, पर कमेटी की बैठक में कोई निष्कर्ष नहीं निकल सका है. इसलिए स्टैंडर्डाइजेशन कमेटी की पिछली बैठक में इस कमेटी को भंग कर दिया गया.
इस मुद्दे पर कोल इंडिया के कार्मिक निदेशक, अन्य आला अफसर तथा चारों यूनियन एटक, एमएमएस, बीएमएस तथा सीटू के प्रतिनिधि को शामिल कर नयी कमेटी गठित की गयी है. कमेटी की बैठक की तिथि अभी निर्धारित नहीं की गई है, पर संभावना व्यक्त की जा रही है कि जल्द ही प्रबंधन तिथि निर्धारित कर इस मसले पर अंतिम निर्णय लेगा.
जानकारों का कहना है कि मेडिकल अनफिट के ईसीएल में ही 350 फाइलें लंबित हैं. जबकि कोल इंडिया की सभी कंपनियों को मिलाने पर यह आंकड़ा 1500 के करीब है. इन कर्मियों को मजबूरीवश ड्यूटी करनी पड़ रही है. मेडिकल अनफिट होने पर आश्रित को नौकरी देने के बजाए प्रबंधन ने क्षतिपूर्ति के रूप में लगभग 75 लाख रुपए देने समेत कई प्रस्ताव रखे हैं, पर यूनियन प्रतिनिधियों ने इस पर सख्त आपत्ति जताई है. उनका कहना है कि नियम को पूर्ववत जारी रखते हुए आश्रितों को नौकरी
मिलनी चाहिए.

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