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डेढ़ साल पहले देंदुआ घोषित हुआ निर्मल

आसनसोल : मिशन निर्मल बांग्ला के तहत जिले के सभी आठ प्रखण्ड निर्मल घोषित हो चुके हैं. राज्य और केंद्रीय स्तरीय टीम भी इन प्रखंडों का दौरा कर इन्हें निर्मल प्रखण्ड की स्वीकृति दे चुकी है. लेकिन जमीनी सच्चाई कुछ और ही है. निर्मल प्रखण्ड बनने के लिए सरकार ने जो मानक तय किये है, […]

आसनसोल : मिशन निर्मल बांग्ला के तहत जिले के सभी आठ प्रखण्ड निर्मल घोषित हो चुके हैं. राज्य और केंद्रीय स्तरीय टीम भी इन प्रखंडों का दौरा कर इन्हें निर्मल प्रखण्ड की स्वीकृति दे चुकी है. लेकिन जमीनी सच्चाई कुछ और ही है. निर्मल प्रखण्ड बनने के लिए सरकार ने जो मानक तय किये है, उसके आधार पर सभी प्रखंडों के निर्मल बनने पर प्रश्न चिन्ह लग रहा है. सालानपुर प्रखण्ड अंतर्गत देंदुआ ग्राम पंचायत की जमीनी रिपोर्ट इसके ठीक विपरीत है.
नौ संसदों वाले इस ग्राम पंचायत की छह संसदों में 586 परिवार ऐसे हैं. जिनके घरों में शौचालय नहीं है और यह लोग खुले में शौच करते है. जबकि निर्मल प्रखण्ड के मानक के आधार पर प्रखण्ड का एक भी व्यक्ति यदि बाहर शौच करता है तो वह प्रखण्ड निर्मल नहीं बन सकता है. इसके बावजूद भी यह प्रखण्ड निर्मल की उपाधि पा चुका है.
सरकारी लक्ष्य को पूरा करने के लिए औपचारिक रूप से हुआ कार्य
ग्रामीणों ने की पंचायत में शिकायत: जमीरकुड़ी गांव के दिहाड़ी श्रमिक बादल मल्लिक, मेहंदी मल्लिक, बबलू मल्लिक, अजीत मल्लिक, होदला गांव की शिवानी बेसरा, मीना तुरी आदि ने बताया कि बेस लाईन सर्वे में नाम न होने पर उन्हें शौचालय नहीं मिला. जिसकी शिकायत उनलोगों ने देंदुआ ग्राम पंचायत के प्रधान नरेन सोरेन से की.
श्री सोरेन ने बताया कि बीडीओ से इस मुद्दे पर बात करने पर उन्होंने कहा कि सर्वे में जिसका नाम नहीं है उन्हें शौचालय नहीं दिया जा सकता है. जिसके कारण पंचायत के सैकड़ों परिवारों को शौचालय नहीं मिला है.
निर्मल प्रखण्ड के मानक हैं क्या
निर्मल प्रखण्ड बनने के लिए सरकार ने कुछ मानक तय किये है. जिसमे हर परिवार के घर मे शौचालय होना और परिवार के सभी सदस्यों द्वारा उसका उपयोग करना, प्रखण्ड के सभी को शुद्ध पेयजल मुहैया कराना. कूड़ा – कचड़ा के निष्पादन के लिए सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की व्यवस्था होना, कहीं भी कूड़ा का अंबार न होना, एक भी खटाऊ शौचालय न होना, ड्रेनेज व्यवस्था सही होना. क्या इस मानक पर जिले का कोई प्रखण्ड खरा उतर रहा है ? यह एक अहम प्रश्न है.
छह संसद में 586 घरों में शौचालय नहीं
नौ संसदों वाली देंदुआ पंचायत के बांसकेटिया में 185, होदला में 57, जमीरकुड़ी में 95, नेकड़ाजोड़िया में 125, महेशपुर में 87 और धनुडी गांव में 37 घरों में शौचालय नहीं है. इन परिवारों के सदस्य नियमित शौच के लिए खुले का ही उपयोग करते है.
बेसलाईन सर्वे के आधार पर बने शौचालय: वर्ष 2012-13 में हुए बेसलाईन सर्वे के आधार सालानपुर प्रखण्ड में 7051 परिवारों के घरों में शौचालय बनाने के लिए चिन्हित किया गया. ये परिवार बीपीएल और प्रतिबंधित एपीएल थे. लेकिन यह बीपीएल और एपीएल की तालिका पर ही सवालिया निशान लगा हुआ है कि यह तालिका सही है या नहीं.
इस आधार पर चिन्हित परिवारों के घरों में शौचालय बनाने का लक्ष्य प्रखण्ड ने नवंबर, 2016 में ही पूरा कर लिया. एक दिसंबर, 2016 को बर्दवान के तत्कालीन जिलाशासक डॉ सौमित्र मोहन ने सालानपुर में आकर इस प्रखण्ड को निर्मल प्रखण्ड होने की घोषणा की. जिसके उपरान्त विभागीय स्तर पर सर्वे कराया गया और त्रुटियों को संशोधित किया गया. इसके बाद राज्य और केंद्रीय स्तरीय टीम ने यहां का दौरा कर सालानपुर के निर्मल प्रखण्ड के दर्जा को मान्यता दे दी.

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