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2020 तक होगा डीटीपीएस का आधुनिकीकरण, प्रयास जारी

दुर्गापुर : दामोदर घाटी निगम की दुर्गापुर ताप विद्युत केंद्र (डीटीपीएस) के निजीकरण अथवा बंद कर देने के केंद्र सरकार के प्रयास की खबर ने शहरवासियों की व्याकुलता बढ़ा दी थी. शहर के लोग सोचने लगे थे कि एमएएमसी, बोओजीएल की तरह अब डीटीपीएस भी बंदी के कगार पर पहुंच गया है. लेकिन डीटीपीएस को […]

दुर्गापुर : दामोदर घाटी निगम की दुर्गापुर ताप विद्युत केंद्र (डीटीपीएस) के निजीकरण अथवा बंद कर देने के केंद्र सरकार के प्रयास की खबर ने शहरवासियों की व्याकुलता बढ़ा दी थी. शहर के लोग सोचने लगे थे कि एमएएमसी, बोओजीएल की तरह अब डीटीपीएस भी बंदी के कगार पर पहुंच गया है. लेकिन डीटीपीएस को बंद करने का सरकार का कोई इरादा नहीं है.
2020 तक प्लांट का आधुनिकीकरण कर इसे व्यापक पैमाने पर शुरू करने का फैसला लिया गया है. आधुनिकीकरण के लिए सरकार की ओर से कई प्रयास किये जा रहे हैं. उम्मीद है कि 2020 तक दुर्गापुर ताप विद्युत केंद्र में अत्याधुनिक यंत्र स्थापित कर अधिक बिजली उत्पादन करना संभव हो पायेगा. ये बातें कोलकाता दामोदर घाटी निगम के सदस्य (टेक्निकल) रवि प्रकाश त्रिपाठी ने बतायीं. सीएमईआरआई कॉलोनी में आयोजित एक कार्यक्रम में श्री त्रिपाठी मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुये थे. पूछे जाने पर उन्होंने प्लांट बंद अथवा निजीकरण की खबर को अफवाह बताया.
उन्होंने कहा कि दुर्गापुर ताप विद्युत केंद्र सरकार का प्रभावी विद्युत उत्पादन केंद्र हैं. लेकिन कुछ वर्षों से प्लांट में पुरानी यूनिट होने के कारण उत्पादित बिजली का खर्च वहन कर श्रमिकों को सुविधा प्रदान करने में सरकार को नुकसान उठाना पड़ रहा है. लेकिन सरकार फिर से प्लांट का मॉडर्नाइजेशन कर बिजली उत्पादन करेगी.
दुर्गापुर ताप विद्युत केंद्र की स्थापना 80 के दशक में एक एवं दो नंबर यूनिट से की गई थी. दोनों यूनिट कुछ ही समय में बंद हो जाने के बाद तीन नंबर यूनिट खोली गई, जो असफल साबित हुयी. अंत में 210 मेगावाट बिजली उत्पादन लिये चार नम्बर यूनिट शुरू की गयी. वर्तमान समय में चार नंबर यूनिट से ही एकमात्र विद्युत उत्पादित किया जाता है. वर्तमान समय में प्लांट में अधिकारी एवं स्थाई मिलाकर करीब 625 श्रमिक हैं. करीब 300 के लगभग अस्थायी श्रमिक काम करते हैं.
प्लांट के अधीन इलाके का बहुत बड़ा हिस्सा माया बाजार ,पुरसा , सुकांतपल्ली , अंगदपुर , रिवरसाइड ,माना ,वारिया में लोग निवास करते हैं। जिसकी सुविधा डीटीपीएस द्वारा बहाल की जाती है. प्लांट बंद हो जाने से यह इलाका पूरी तरह से खत्म हो जायेगा. हजारों लोग डीटीपीएस प्लांट पर ही निर्भर है. श्रमिकों के हित के लिये छह ट्रेड यूनियनें इंटक, बीएमएस, सीटू, स्टाफ एसोसिएशन, आईएनटीटीयूसी ,एआईटीयूसी आंदोलन करती रहती हैं.
पिछले कुछ महीनों में ट्रेड यूनियनों ने प्लांट के निजीकरण के मुद्दे पर कई आंदोलन किये. ट्रेड यूनियनों के प्रदर्शन ने श्रमिकों एवं शहर के नागरिकों को चिंतित कर दिया था. इस संदर्भ में इंटक यूनियन के सचिव सुब्रत मिश्रा ने कहा कि प्लांट बंद होने की सूचना गलत थी. प्लांट का 2020 तक आधुनिकीकरण करने का सरकार का प्रयास है.

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