दिल्ली पुलिस अरुण को लेकर दिल्ली जायेगी, जहां इस मामले में पहले से गिरफ्तार चार आरोपियों से एक साथ पूछताछ करेगी. पिछले दिनों किडनी तस्करी के मामले में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने जेएन साहू सहित कुल चार मध्यस्थों को गिरफ्तार किया था. चारों से पूछताछ करने के बाद अरुण दास का नाम सामने आया, लेकिन किसी मध्यस्थ के पास अरुण की तसवीर नहीं थी. इन सबों के पास अरुण के 10 से बारह मोबाइल नंबर थे. मोबाइल पर संपर्क करने पर फोन स्वीच ऑफ मिला. पुलिस की परेशानी बढ़ गयी. मध्यस्थों ने बताया कि अरुण से उनकी बात सिर्फ फोन पर होती थी. उनलोगों ने उसे कभी नहीं देखा है. उनलोगों ने अपने मोबाइल फोन से पुलिस को अरुण से हुई बातचीत का ऑडियो सौंप दी.
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घंटों पूछताछ के बाद किडनी दलाल गिरफ्तार
हावड़ा. गुरुवार दोपहर से शुरू हुई घंटों पूछताछ के बाद दिल्ली पुलिस ने किडनी दलाल अरुण दास को आखिरकार गिरफ्तार कर लिया. शुक्रवार आरोपी को हावड़ा के सीजेएम अदालत में पेश किया गया, जहां न्यायाधीश ने आरोपी को तीन दिनों की ट्रांजिट रिमांड पर दिल्ली पुलिस के हवाले कर दिया. दिल्ली पुलिस अरुण को लेकर […]
हावड़ा. गुरुवार दोपहर से शुरू हुई घंटों पूछताछ के बाद दिल्ली पुलिस ने किडनी दलाल अरुण दास को आखिरकार गिरफ्तार कर लिया. शुक्रवार आरोपी को हावड़ा के सीजेएम अदालत में पेश किया गया, जहां न्यायाधीश ने आरोपी को तीन दिनों की ट्रांजिट रिमांड पर दिल्ली पुलिस के हवाले कर दिया.
दिल्ली पुलिस ने शुरू की जांच :अरुण का बहुत दिनों तक मोबाइल फोन बंद रहा. इस बीच दिल्ली पुलिस ने ऑडियो की मदद से उसकी आवाज को पहचानने की कोशिश की. पुलिस के पास आरोपी की आवाज के अलावा आैर कोई सुराग नहीं था. दिल्ली से भागने के बाद अरुण हावड़ा पहुंचा. कुछ दिनों तक अपना मोबाइल बंद करने के बाद उसने एक नंबर ऑन कर दिया. पुलिस उस नंबर को ट्रैकिंग पर डाला. पुलिस को पहली सफलता मिली. ट्रैकिंग पर नंबर डालने पर अरुण का पता उत्तर हावड़ा के मालीपांचघड़ा थाना अंतर्गत नस्कर पाड़ा आया. दिल्ली पुलिस की चार सदस्यीय टीम सीधे थाना पहुंची व स्थानीय पुलिस की मदद से अरुण को अपनी हिरासत में ले लिया. चूंकि पुलिस के पास उसकी कोई तसवीर नहीं थी, गले की आवाज से आरोपी की पहचान करनी थी. घंटों पूछताछ व गले की आवाज परीक्षण करने के बाद दिल्ली पुलिस निश्चित हुई कि किडनी तस्कर मामले से जुड़ा आरोपी अरुण दास ही है. पूछताछ में आरोपी ने कबूल लिया कि वह किडनी दलाली गिरोह से जुड़ा था.
दिल्ली में शुरू की किडनी की दलाली
दिल्ली पहुंच कर वह किडनी दलाली से जुड़ा. जानकारी के अनुसार, अरुण आर्थिक रूप से तंग किडनी डोनर का जुगाड़ करता था. इसके बाद डोनर को वह मिडिल मैन के हवाले करता था. अपने पूरे ऑपरेशन के दौरान वह किसी के सामने नहीं आया. सिर्फ मोबाइल से ही संपर्क कर अपने काम को अंजाम दिया. नियम के अनुसार, किडनी डोनर बिना किसी अपने खून के रिश्तेदार के हस्ताक्षर व इच्छा के विरुद्ध किडनी दान नहीं कर सकता है. इस समस्या से निबटने के लिए अरुण फरजी वोटर कार्ड, आधार कार्ड सहित तमाम दस्तावेज डोनर को मुहैया कराता था. किसी को शक नहीं हो, इसके लिए डोनर को वह उनलोगों के साथ कुछ दिनों तक रखता था, जो किडनी दान करने के लिए रिश्तेदार बन कर हस्ताक्षर करते थे, ताकि किसी को शक नहीं हो.
छात्र ने की थी शिकायत
किडनी तस्करी का खुलासा उस समय हुआ जब एक एमबीए के छात्र ने थाने में शिकायत दर्ज करायी. दिल्ली पुलिस ने जांच शुरू की. शिकायत के आधार पर जेएन साहू सहित चार मिडिल मैन को गिरफ्तार किया गया आैर वहीं से अरुण दास का नाम मिला. जानकारी के अनुसार, किडनी निकालने का काम दिल्ली के एक प्रतिष्ठित अस्पताल में होता था. इस रैकेट से आैर भी कई लोगों के नाम जुड़े होने के आशंका है. दिल्ली पुलिस सभी आरोपियों को पूछताछ कर मामले की गहरायी तक जाने में जुटी है.
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