कोलकाता: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी व भारत में नियुक्त अमेरिकी राजदूत नैंसी पावेल के बीच मुलाकात नहीं होने के कई कारण तलाशे जा रहे हैं. दो ताकतवर महिलाओं के बीच मुलाकात नहीं होने के अलग-अलग कारण बताये जा रहे हैं. पर सूत्रों के अनुसार इस भेंट के नहीं होने के लिए एम फैक्टर जिम्मेदार है. एम अर्थात मोदी व एम अर्थात माइनरिटी.
जानकारों के अनुसार अमेरिकी राजदूत महानगर के इस दौरे के दौरान मुख्यमंत्री से मिलने की काफी इच्छुक थीं, मुख्यमंत्री को भी इस मुलाकात पर कोई एतराज नहीं था. पर वह चाहती थीं कि यह भेंट नवान्न स्थित उनके दफ्तर में न हो कर कालीघाट स्थित उनके निवास स्थान पर हो. मुख्यमंत्री का तर्क था कि जब अमेरिकी राजदूत अहमदाबाद जा कर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके घर पर मिल सकती हैं, तो फिर वह कालीघाट स्थित उनके घर क्यों नहीं आ सकती हैं.
नैंसी पावेल को भी इससे कोई लेना-देना नहीं था, पर कालीघाट एक बेहद भीड़भाड़ वाला इलाका होने के कारण सुरक्षा के मद्देनजर उनके सुरक्षा सलाहकारों ने अमेरिकी राजदूत का वहां जाना उचित नहीं समझा. ममता-पावेल मुलाकात नहीं होने के लिए दूसरा बड़ा कारण मुसलमानों की नाराजगी को भी बतायी जा रही है. मुख्यमंत्री के कुछ करीबी ने उन्हें यह समझाने का प्रयास किया था कि चुनाव के समय वह अमेरिकी राजदूत से मुलाकात करने का खतरा मोल न लें. इससे उनका मुसलिम वोट बैंक नाराज हो सकता है, क्योंकि मुसलमानों की नजरों में उनका सबसे बड़ा दुश्मन अमेरिका है. इसके साथ ही ऑल बंगाल माइनोरिटी यूथ फोरम जैसे कुछ मुसलिम संगठनों ने पत्र व ई-मेल द्वारा मुख्यमंत्री से अमेरिकी राजदूत से नहीं मिलने का आह्वान किया था. सूत्रों के अनुसार इन दो बड़े कारणों की वजह से ममता बनर्जी व नैंसी पावेल की मुलाकात नहीं हो पायी.