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साड़ी पहन सड़क पर उतरे पुरुष, लगायी इंसाफ की गुहार

मुश्ताक खान प्रस्तावित विवाह कानून संशोधन विधेयक का किया पुरजोर विरोध पत्नी पीड़ित पुरुषों के लिए काम करनेवाली संस्था ने कहा-पारिवारिक व्यवस्था चरमरा जायेगी अमेरिका, इंग्लैंड की नकल करने का आरोप कोलकाता : प्रस्तावित विवाह कानून संशोधन विधेयक में पुरुषों के साथ नाइंसाफी की शिकायत को लेकर पत्नियों के अत्याचार से पीड़ित पुरुषों के लिए […]

मुश्ताक खान

प्रस्तावित विवाह कानून संशोधन विधेयक का किया पुरजोर विरोध

पत्नी पीड़ित पुरुषों के लिए काम करनेवाली संस्था ने कहा-पारिवारिक व्यवस्था चरमरा जायेगी

अमेरिका, इंग्लैंड की नकल करने का आरोप

कोलकाता : प्रस्तावित विवाह कानून संशोधन विधेयक में पुरुषों के साथ नाइंसाफी की शिकायत को लेकर पत्नियों के अत्याचार से पीड़ित पुरुषों के लिए आवाज उठाने वाली संस्था ‘हृदया’ ने रविवार को अपनी बात रखने के लिए एक अनूठा रुख अपनाया. रिमझिम बारिश के बीच बड़ी संख्या में पुरुषों का एक दल साड़ी पहन कर रास्ते पर उतर पड़ा.

शहर के हाजरा मोड़ पर हुई इस साड़ी रैली में शामिल लोग मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आवास जाकर उन्हें ज्ञापन देना चाहते थे. पर, बारिश के कारण वे ऐसा नहीं कर सके. ‘हृदया’ के महासचिव अमित गुप्ता ने बताया कि एक-दो दिन के अंदर मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा जायेगा. श्री गुप्ता ने आरोप लगाया कि प्रस्तावित विवाह कानून संशोधन विधेयक पूरी तरह पुरुष विरोधी है.

उन्होंने कहा कि संविधान ने समाज में सभी को समान अधिकार दिया है. पर इस बिल में पुरुषों के अधिकारों की पूरी तरह अनदेखी की गयी है. महिला सशक्तीकरण के नाम पर इस बिल के द्वारा महिलाओं के हाथ में पूरे अधिकार देने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि यह कानून अमेरिका एवं इंग्लैंड के कानून की नकल है. 1973 में इन दोनों देशों में जब यह कानून लागू हुआ था, तभी से वहां की पारिवारिक व्यवस्था चरमराने लगी थी.

आज उन देशों में लोग विवाह से परहेज करते हैं और लिव-इन रिलेशन अधिक बन रहे हैं. भारत को भी उसी आग में धकेलने का प्रयास किया जा रहा है. श्री गुप्ता ने कहा कि आज सभी राजनीतिक दल केवल महिला सशक्तीकरण की बात करते हैं. पुरुषों की कोई सुनने वाला नहीं है. इसलिए हम लोग भी साड़ी पहन कर ‘महिला’ बन गये हैं. जब तक इस बिल को वापस नहीं लिया जाता है, तब तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा. गौरतलब है कि राज्यसभा इस बिल को पहले ही पास कर चुकी है. बिल के लोकसभा से पारित होने के बाद यह कानून बन जायेगा.

रास से पारित हो चुका है बिल

लोकसभा में पास हो जाने के बाद कानून बन जायेगा

क्या कहना है ‘हृदया’ का

संस्था ‘हृदया’ के महासचिव श्री गुप्ता ने कहा कि इस बिल के अनुसार अगर पुरुष शादी के तीन वर्ष के बाद तलाक लेने के लिए अपील करे तो महिला को उसकी अपील रद्द करने का अधिकार है, पर अगर महिला तलाक के लिए आवेदन करे तो पुरुष उसे ठुकरा नहीं सकता है. इसके साथ ही इस बिल में पत्नी को पति की संपत्ति एवं उसकी पैतृक संपत्ति में हिस्सा देने की बात कही गयी है. साथ ही इस बिल में एक जगह फाइनेंसियल हार्डशिप (वित्तीय कठिनाई) की बात कही गयी है, पर यह क्या है, उसे साफ नहीं किया गया है.

ऐसा लगता है कि जैसे महिलाओं को पति एवं उसके परिजनों से वसूली का अधिकार देने की तैयारी की जा रही है. पुरुष वर्ग पहले ही धारा 498 ए से परेशान है. इस बिल के पास हो जाने के बाद विवाह व्यापार बन जायेगा. सबसे बड़ी बात यह है कि इस कानून के दायरे में केवल हिंदुओं को शामिल किया गया है.

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