पानागढ़ (बर्दवान) : पश्चिम बंगाल राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष सुनंदा मुखर्जी ने विश्वभारती विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ सुशांत दत्तगुप्त को पद्मश्री सम्मान देने के निर्णय पर कड़ा एतराज जताया है. उन्होंने इस संबंध में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह, जो विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी हैं और राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष को पत्र लिखा है.
उनका आरोप है कि डॉ दत्तगुप्त के खिलाफ नारी यौन उत्पीड़न का मामला सही पाया गया था तथा उनके खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की गयी थी. इस स्थिति में उन्हें (डॉ सुशांत दत्तगुप्त को) इस सम्मान से सम्मानित करना महिला अधिकार व मानवाधिकारों का उल्लंघन है. सुश्री मुखर्जी ने बताया कि डॉ दत्तगुप्त के खिलाफ वर्ष 2004 में छात्रा ने यौन शोषण की शिकायत राज्य महिला आयोग से की थी. आयोग ने शिकायत की जांच के लिए कमेटी गठित की थी.
डॉ सुशांत के खिलाफ हुई थी कार्रवाई की अनुशंसा
जांच कमेटी ने सभी पहलुओं की जांच करने के बाद डॉ दत्तगुप्त को दोषी करार दिया था तथा उनके खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की गयी थी. उन्होंने कहा कि बीते 26 जनवरी को उनके नाम की घोषणा इस सम्मान के लिए केंद्र सरकार के स्तर से की गयी है. इसके बाद उन्होंने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ममता शर्मा और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखा है.
पत्र में शिकायत व उसकी जांच से संबंधित विस्तृत जानकारी दी गयी है. उन्होंने कहा है कि यौन शोषण का दोषी पाये जाने के बाद भी किसी को इस राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित नहीं किया जा सकता है. ऐसा होने से गलत संदेश जायेगा. इससे महिला अधिकारों के लिए चलायी जा रही मुहिम को गहरा झटका लगेगा. उन्होंने कहा कि पद्मश्री अवार्ड के लिए डॉ सुशांत का चयन करते समय इसकी जानकारी ली जानी चाहिए थी.
हम यह जानकर स्तब्ध हैं कि डॉ दत्तगुप्त को सत्येंद्र नाथ नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज में उनके कार्यकाल के दौरान महिला सहयोगी से यौन उत्पीड़न के इतिहास को नजरअंदाज कर प्रतिष्ठित पद्मश्री सम्मान के लिए चुना गया है.
-सुनंदा मुखर्जी, अध्यक्ष पश्चिम बंगाल महिला आयोग