कोलकाता: कलकत्ता हाइकोर्ट ने पश्चिम बंगाल में प्राथमिक शिक्षकों की भरती पर लगी रोक को उस समय आगे बढ़ा दिया, जब कई आवेदकों ने इसमें अनियमितता के आरोप लगाये. न्यायमूर्ति देवाशीष करगुप्ता ने तकरीबन 27000 प्राथमिक शिक्षकों की भरती पर लगी रोक 14 फरवरी तक बढ़ा दी.
इस प्रक्रिया पर तब रोक लगायी गयी, जब 17 लाख से अधिक आवेदकों में से तकरीबन एक हजार ने नियुक्ति प्रक्रिया को चुनौती दी. याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि स्कूल सेवा आयोग ने पिछले साल अप्रैल में उच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया है.
इसमें यह निर्देश दिया गया था कि शिक्षण कार्य में प्रशिक्षित आवेदकों की पहले भरती की जायेगी और उसके बाद गैर प्रशिक्षित आवेदकों के नाम पर विचार किया जायेगा. न्यायमूर्ति करगुप्ता ने सवाल किया कि प्रशिक्षित शिक्षकों की भरती पहले करने और उसके बाद गैर प्रशिक्षित उम्मीदवारों की भरती करने के संबंध में अदालत के निर्देशों का पालन क्यों नहीं किया गया.
अदालत ने मामले में अगली सुनवाई की तारीख छह फरवरी को निर्धारित की. अदालत ने एसएससी अधिकारियों को स्पष्ट करने को कहा कि क्या अनियमितताएं हुई हैं और अगर हुईं तो ऐसा क्यों किया गया. एसएससी के वकील देबब्रत चट्टोपाध्याय ने कहा कि हाइकोर्ट के सभी दिशानिर्देशों का पालन किया गया है. इधर, संवाददाताओं से बातचीत में राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने कहा कि सरकार की छवि को धूमिल करने की कोशिश हो रही है. शिक्षकों की भरती के संबंध में जितने भी सवाल आरटीआइ के जरिये पूछे गये उनमें से अधिकतर का जवाब दिया गया है.