कोलकाता: पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग से न्यायमूर्ति एके गांगुली को हटाने के लिए केंद्रीय कैबिनेट ने राष्ट्रपति की राय जानने के लिए प्रस्ताव भेजा है. उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एके गांगुली ने गुरुवार को कहा कि अगला कदम उठाने के लिए उसे कुछ वक्त चाहिए. न्यायमूर्ति गांगुली ने कहा कि वह अभी कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते. उन्हें निर्णय लेने के लिए कुछ वक्त चाहिए.
गौरतलब है कि न्यायमूर्ति एके गांगुली को डब्ल्यूबीएचआरसी के प्रमुख पद से हटाने के लिए केंद्रीय कैबिनेट ने गुरुवार राष्ट्रपति की राय जानने के लिए भेजे जाने वाले प्रस्ताव को मंजूरी दे दी.
इससे पहले न्यायाधीश ने कहा था कि डब्ल्यूबीएचआरसी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बारे में उन्होंने ‘निर्णय’ नहीं किया है. न्यायमूर्ति गांगुली ने कहा कि उन्होंने कोई निर्णय नहीं लिया है. गौरतलब है कि एक महिला विधि इंटर्न से दिसंबर 2012 में यौन उत्पीड़न के आरोपों पर उच्चतम न्यायालय के पैनल द्वारा दोषी पाये जाने के बाद डब्ल्यूबीएचआरसी से उनके इस्तीफे की मांग बढ़ती जा रही है. अशोक कुमार गांगुली ने कहा कि उन्होंने इस बात पर अब तक ‘फैसला’ नहीं किया है कि पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना है कि नहीं. उच्चतम न्यायालय की तीन सदस्यीय एक समिति द्वारा महिला इंटर्न के यौन शोषण के मामले में गांगुली को प्रथम दृष्टया दोषी मानने के बाद कई हलकों से यह मांग जोरों पर है कि उन्हें पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे देना चाहिए.
केंद्रीय कैबिनेट में यह मामला आज उठने की संभावना को देखते हुए अपने भविष्य के कदम के बाबत श्री गांगुली ने कहा कि वह अभी इस पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे. सरकार उच्चतम न्यायालय को प्रेजिडेंशियल रेफरेंस (राय जानने के लिए केंद्र की तरफ से राष्ट्रपति द्वारा उच्चतम न्यायालय के पास भेजा जाने वाला मामला) भेजने पर फैसला कर सकती है.
प्रेजिडेंशियल रेफरेंस भेजे जाने के बाद उच्चतम न्यायालय श्री गांगुली के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच करेगा और इस पर राष्ट्रपति को अपनी राय देंगे. केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कल कहा था कि उनका मंत्रलय केंद्रीय कैबिनेट के समक्ष इस बाबत नोट पेश करेगा ताकि गांगुली मुद्दे पर प्रेजिडेंशियल रेफरेंस भेजने को लेकर चर्चा हो सके.