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पाक से संबंध तोड़े बांग्लादेश

– भारत-बांग्लादेश सांस्कृतिक केंद्र की परिचर्चा में उठी मांग – इसलामी आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है अमेरिका : मानवाधिकार कार्यकर्ता – बांग्लादेश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का पाक को हक नहीं कोलकाता : युद्ध अपराध के लिए जमात नेता अब्दुल कादिर मोल्ला को फांसी दिये जाने के बाद से बांग्लादेश और पाकिस्तान के […]

– भारत-बांग्लादेश सांस्कृतिक केंद्र की परिचर्चा में उठी मांग

– इसलामी आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है अमेरिका : मानवाधिकार कार्यकर्ता

– बांग्लादेश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का पाक को हक नहीं

कोलकाता : युद्ध अपराध के लिए जमात नेता अब्दुल कादिर मोल्ला को फांसी दिये जाने के बाद से बांग्लादेश और पाकिस्तान के संबंधों में कड़वाहट बढ़ती जा रही है. जहां एक तरफ पाकिस्तान की संसद में प्रस्ताव पास कर मोल्ला की फांसी पर चिंता जतायी गयी, वहीं बांग्लादेश की सरकार पर भी पाकिस्तान के साथ संबंधों पर पुनर्विचार का दबाव बढ़ता जा रहा है.

शनिवार को बांग्लादेश के मानवाधिकार कार्यकर्ता और वरिष्ठ पत्रकार शहरयार कबीर ने अपने देश की सरकार से पाकिस्तान के साथ सभी राजनयिक संबंध तोड़ लेने की मांग की.

पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देता है

कोलकाता में भारत-बांग्लादेश सांस्कृतिक केंद्र और इंडेपेंडेंट जर्नलिस्ट सोसाइटी की ओर से आयोजित परिचर्चा के इतर संवाददाताओं से बातचीत में कबीर ने कहा कि युद्ध अपराधों के लिए मोल्ला की फांसी पर पाकिस्तान के चिंता जताने के मद्देनजर बांग्लादेश को उससे सभी संबंध तोड़ लेने चाहिए.

कबीर ने कहा कि उन्होंने अपने देश की सरकार को पाकिस्तान के साथ सभी संबंध तोड़ लेने का सुझाव दिया है. उन्होंने कहा कि ऐसे देश (पाकिस्तान) के साथ संबंध रखने की जरूरत नहीं है, जो आतंकवाद को बढ़ावा देता हो. नरसंहार को न्यायोचित ठहराता हो. नरसंहार करने वालों को बढ़ावा देता हो.

गौरतलब है कि बांग्लादेश में लंबी न्यायिक प्रक्रिया के बाद मुक्ति संग्राम के दौरान बलात्कार और नरसंहार के लिए दोषी ठहराये गये जमात नेता अब्दुल कादिर मोल्ला को 12 दिसंबर को फांसी दे दी गयी. इसके विरोध में पाकिस्तान में कई जगह प्रदर्शन हुए. पाकिस्तान की राष्ट्रीय असेम्बली में जमात-ए-इसलामी पार्टी के प्रस्ताव को पास कर मोल्ला की फांसी पर चिंता जतायी गयी.

अब्दुल कादिर मोल्ला की फांसी के विरोध में पाकिस्तानी संसद में प्रस्ताव पास करने का किया विरोध

परिचर्चा में कबीर ने आरोप लगाया है कि दुनिया में इसलामी आतंकवाद व कट्टवाद को बढ़ावा देने के पीछे अमेरिका का हाथ है. कबीर ने कहा कि आम धारणा यह है कि इसलामी कट्टपंथ व जिहाद की शुरुआत अफगानिस्तान युद्ध से हुई है, जो गलत है.

हकीकत में इसकी शुरुआत दूसरे विश्वयुद्ध के बाद हुई, जब अमेरिका ने रूस को घेरने के लिए इलमामी कट्टरपंथ को बढ़ावा दिया. बांग्लादेश के बनने के समय भी अमेरिका ने पाकिस्तान का साथ इसी मकसद से दिया था. उन्होंने दावा किया कि दुनिया के अलग-अलग देशों मे भले ही इसलामी आतंकवादी संगठनों के नाम अलग-अलग हैं, पर सभी का मकसद व तरीका एक है.

यह संगठन इसलाम के नाम पर लोगों की हत्या कर रहे हैं. कबीर ने ने कहा कि बांग्लादेश में अब्दुल कादिर मोल्ला को फांसी दिये जाने पर पाकिस्तानी संसद ने न केवल इसका विरोध किया, बल्कि एक प्रस्ताव भी पारित किया. ऐसा कर पाकिस्तान ने वियना कन्वेंशन का विरोध किया है. यह बांग्लादेश का घरेलू मामला है, इसमें कोई दूसरा देश दखलंदाजी नहीं कर सकता है.

आज पाकिस्तान इसलामी आतंकवाद का गढ़ बन चुका है, हालांकि पाकिस्तान के जन्मदाता मोहम्मद अली जिन्ना इस देश को इसलामी राष्ट्र के बजाय धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनाना चाहते थे. इस सेमिनार में द स्टेट्समैन के संपादक मानस घोष व सेंटर फॉर पीस एंड प्रोग्रेस के चेयरमैन ओपी शाह ने भी शिरकत की.

कट्टरपंथ के खिलाफ जनमत बनाने की कवायद

जानकारी के अनुसार, जमात नेता अब्दुल कादिर मोल्ला को उसके अपराधों के लिए अंजाम तक पहुंचने में सक्रिय भूमिका निभाने वाले बांग्लादेश के कई लोग कट्टरपंथियों की धमकी के मद्देनजर भारत में रह रहे हैं. वे चाह रहे हैं कि बांग्लादेश में कट्टरपंथियों पर अंकुश के लिए भारत अपने प्रभाव का इस्तेमाल करे. कट्टरपंथियों के खिलाफ जनमत बनाने की कवायद भी चल रही है.

इसी कड़ी में शनिवार को कोलकाता प्रेस क्लब में परिचर्चा का आयोजन किया गया. बांग्लादेश में जमात नेताओं और कार्यकर्ताओं की धमकी के मद्देनजर कोलकाता में रह रहे लोगों में से कई परिचर्चा में मौजूद थे, लेकिन खतरे को देखते हुए उन्होंने अपनी पहचान गोपनीय रखने का आग्रह किया. जानकारी के अनुसार, मोल्ला समर्थकों ने उसके केस में गवाही देने वालों को निशाना बनाने की धमकी दी है. जिसके कारण कई लोग बांग्लादेश छोड़कर भारत में रह रहे हैं.

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