कोलकाता: आर्थिक मंदी से जूझ रही तृणमूल सरकार पर कर्ज का बोझ दिनों-दिन बढ़ते जा रहा है. इस वर्ष राज्य सरकार यहां के विभागों को चलाने व कर्मचारियों को सही समय पर वेतन देने के लिए 21,301 करोड़ रुपये का कर्ज लेगी. ऐसी जानकारी राज्य के वित्त विभाग के सूत्रों से मिली है.
जानकारी के अनुसार, जनवरी से राज्य सरकार ने छह फीसदी डीए बढ़ाने का फैसला किया है और इससे राज्य सरकार पर खर्च का बोझ और भी बढ़ेगा. छह फीसदी डीए बढ़ने की वजह से राज्य सरकार पर प्रत्येक वर्ष 5100 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च का बोझ बढ़ रहा है. पिछले वर्ष राज्य सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक यानी केंद्र सरकार से 18158 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था.
जानकारी के अनुसार, वर्तमान वित्तीय वर्ष में तीन महीने के अंदर ही यहां की लघु बचत योजना के तहत करीब 900 करोड़ रुपये जमा हुए हैं. पिछले दो वर्षो में इस योजना के तहत अधिक राशि जमा नहीं हुई, यहां तक कि घाटे का मुंह देखने को मिला था. लेकिन इस बार इस योजना में 900 करोड़ रुपये जमा होने के बाद भी राज्य को भविष्य में इससे कोई राहत नहीं मिलनेवाली है, क्योंकि अक्तूबर महीने में राज्य सरकार ने ‘आर्थिक सुरक्षा योजना’ शुरू की है, जिसका असर लघु बचत योजना पर पड़ सकता है.
इस संबंध में लघु बचत योजना विभाग के निदेशक मोनेश्वर अली वैद्य ने बताया कि चिटफंड कंपनियों के घोटाले के मामले सामने आने के बाद लोगों ने फिर से इस योजना में अपनी रुचि दिखायी है. इसका केंद्र सरकार के अधीन किसान विकास पत्र सहित अन्य बचत योजनाएं बंद होने का प्रभाव भी पड़ा है.