राष्ट्रपति ने दिया समावेशी शासन व्यवस्था पर जोर
कोलकाता : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी अपने दो दिवसीय दौरे पर गुरुवार की शाम यहां पहुंचे. राष्ट्रपति के इस यात्रा के दौरान उनका तीन शिक्षण संस्थानों में आयोजित समारोहों में शामिल होने का कार्यक्रम है. राज्य के राज्यपाल एम के नारायणन और राज्य के योजना मंत्री रछपाल सिंह व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उनकी अगवानी की. राष्ट्रपति हवाई अड्डे से सीधे साइंस सिटी पहुंचे और वहां उन्होंने इंस्टीट्यूट आफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स आफ इंडिया (आईसीएआई) द्वारा आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उदघाटन किया.
राजभवन में रात्रि विश्रम के बाद मुखर्जी नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलोजी के 9वें दीक्षांत समारोह में शामिल होने के लिए दुर्गापुर रवाना होंगे. उसके बाद वह बर्दवान विश्वविद्यालय के सालाना दीक्षांत में भाग लेंगे और स्वर्ण जयंती भवन का शुक्रवार को शिलान्यास करेंगे. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि उसके बाद वह बर्दवान के पानागढ़ में स्थित वायुसेना के अड्डे से वायुसेना के विशेष विमान से नई दिल्ली रवाना हो जाएंगे.
वहीं, समावेशी समृद्धि के लिए समावेशी शासन समय की आवश्यकता है. समावेशी शासन के बगैर समावेशी विकास संभव नहीं है. वास्तविक समृद्धि हासिल करने के लिए समावेशी शासन पाने का लक्ष्य होना चाहिए. यह बातें गुरुवार को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने महानगर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कहीं.
उन्होंने कहा कि अब वह नीतियां बनाने की स्थिति में नहीं हैं क्योंकि संविधान उन्हें यह अधिकार नहीं देता. उन्होंने कहा कि लेकिन देश की वर्तमान परिस्थितियों के संबंध में मैं अपने विचार अवश्य साझा कर सकता हूं और यह कह सकता हूं कि सरकार को क्या कार्रवाई करने की जरूरत है.
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भारत अब वैश्विक अर्थव्यवस्था से जुड़ गया है और इसके लाभ तथा चुनौतियां दोनों ही हैं. उन्होंने कहा कि लाभों का उपयोग करने के लिहाज से बिल्कुल हाशिये पर रह रहे लोगों की मदद के लिए समावेशी विकास हमारी सबसे बड़ी चुनौती है. पिछले छह दशकों में भारत ने साक्षरता दर, खाद्यान्न उत्पादन, गरीबी कम करने और विकास के क्षेत्रों सुधार किया है.