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अब नहीं चाहिए गोरखालैंड

– बैठक से पहले गोरखा जनमुक्ति मोरचा ने बदला सुर – 20 नवंबर को गोजमुमो व राज्य सरकार की होगी द्विपक्षीय बैठक – 21 को होगी मोरचा, राज्य सरकार व केंद्र की बैठक – क्षेत्र के विकास पर दिया जोर कोलकाता : अगले हफ्ते होनेवाली बैठक से पहले गोरखा जनमुक्ति मोरचा (गोजमुमो) ने अपना सुर […]

– बैठक से पहले गोरखा जनमुक्ति मोरचा ने बदला सुर

20 नवंबर को गोजमुमो राज्य सरकार की होगी द्विपक्षीय बैठक

21 को होगी मोरचा, राज्य सरकार केंद्र की बैठक

– क्षेत्र के विकास पर दिया जोर

कोलकाता : अगले हफ्ते होनेवाली बैठक से पहले गोरखा जनमुक्ति मोरचा (गोजमुमो) ने अपना सुर पूरी तरह बदल दिया है.अगले सप्ताह होनेवाले द्विपक्षीय त्रिपक्षीय बैठक से पहले गोजमुमो ने रविवार को यह एलान किया है कि फिलहाल गोरखालैंड उसके एजेंडे में नहीं है और वह वार्ता में विकास के मुद्दे पर ध्यान देगा तथा स्वायत्तशासी पर्वतीय निकाय के उचित कामकाज के लिए जीटीए अधिनियम में संशोधन करवाना चाहेगा.

20 नवंबर को गोजमुमो और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच द्विपक्षीय बैठक होनेवाली है और उसके अगले दिन गोजमुमो, राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच त्रिपक्षीय बैठक आयोजित होगी. तीनों पक्षों को उम्मीद है कि बैठकों में समस्या का समाधान निकल आयेगा.

विकास पर होगी चर्चा : अधिकारी

राज्य गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भी पुष्टि की है कि द्विपक्षीय और त्रिपक्षीय बैठकों का मुख्य एजेंडा दाजिर्लिंग पहाड़ियों में जीटीए का कामकाज और विकास परियोजनाएं हैं. उन्होंने कहा कि फिलहाल हम पहाड़ क्षेत्र के विकास पर ध्यान दे रहे हैं.

क्षेत्रीय प्रशासन को सशक्त बनाने पर हो जोर : छेत्री

बातचीत में गोरखालैंड के मुद्दे पर चर्चा के बारे में पूछे जाने पर गोरखा जनमुक्ति मोरचा के नेता हरका बहादुर छेत्री ने कहा कि फिलहाल यह हमारे एजेंडे में नहीं है. हम चर्चा करेंगे कि गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन को कैसे ज्यादा शक्तिशाली बनाया जाये और हम जीटीए को शक्तिशाली प्रभावी बनाने के लिए संशोधन लाने की अपनी मांग रखेंगे.

बैठक में जीटीए पर होगी चर्चा : रोशन गिरि

इस बीच , कलिमपोंग में आयोजित एक सभा में गोजमुमो महासचिव रोशन गिरि ने बताया कि इन बैठकों में हम लोग जीटीए पर चर्चा करेंगे. गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा तेलंगाना राज्य बनाने की घोषणा के बाद से पहाड़ पर भी गोरखालैंड की मांग को लेकर अंदोलनों का दौर चला था. राज्य सरकार ने स्पष्ट कर दिया था कि पश्चिम बंगाल का विभाजन नहीं होगा.

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