कोलकाता: द्वारका शारदा व ज्योतिष पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने हुगली के कोननगर स्थित श्री राज राजेश्वरी मंदिर में शनिवार को गुरु-शिष्यों को संबोधित करते हुए कहा कि विश्व के निर्माता द्वारा निर्माण 84 लाख योनियों में मनुष्य योनी सबसे उत्कृष्ट है.
मनुष्य योनी परमात्मा के साक्षात का ज्ञान है. भगवान सर्वव्यापक होने के कारण सभी प्राणी में विद्यमान हैं.
जैसे सूर्य की किरणों सभी स्थानों पर पड़ती हैं,लेकिन कांच पर पड़ने पर उसकी चमक बढ़ जाती है. उसी तरह जब परमात्मा की कृपा मनुष्य पर पड़ती है, तो जीवन धन्य हो जाता है. मनुष्य में परमात्मा को प्राप्त करने की साक्षात क्षमता है. जब तक मनुष्य में तमो व रजो गुण की अधिकता रहती है, तब तक उसे परमात्मा के साक्षात दर्शन नहीं हो पाते. परमात्मा के साक्षात दर्शन के लिए मन को निर्मल करने की आवश्यकता है. शंकराचार्य महाराज ने कहा कि प्रत्येक मनुष्य आनंद चाहता है. उसके लिए वह शरीर, इंद्रीय, मन व बुद्धि की दौड़-धूप में रहता है. जहां मनुष्य की प्रियता होती है, वहीं आनंद की अनुभूति होती है.
हमें खोजना चाहिए कि हमारी प्रियता कहां है. निर्मल हृदय होने के साथ ही परमात्मा का दर्शन होता है. परमात्मा के दर्शन के साथ ही सभी दुख खत्म हो परमानंद की अनुभूति होती है. निर्मल मन बनाने के लिए हमें सत्कर्म व सत्संग करना होगा. शंकराचार्य महाराज के प्रवचन के बाद भजन गायक शंभू लाटा द्वारा भजनों की प्रस्तुति की गयी. शिष्या इंद्राणी मुखर्जी ने गुरु पादुका पूजन किया. मौके पर ब्रह्मचारी सुबोद्धानंद महाराज, ब्रह्मचारी सचित स्वरूप महाराज, अनिल पाटोदिया, हेमंत सोनी सहित सैकड़ों गुरु भक्तों ने महाराजश्री का आशीर्वाद प्राप्त किया.