कोलकाता: राज्य सरकार ने राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक नपराजित मुखर्जी को राज्य मानवाधिकार आयोग का सदस्य मनोनीत किया. सोमवार को राज्य विधानसभा परिसर में विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी के कक्ष में बैठक हुई. बैठक में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, विधानसभा के अध्यक्ष बिमान बनर्जी व विरोधी दल नेता डॉ सूर्यकांत मिश्र उपस्थित थे. बैठक में मुख्यमंत्री ने श्री मुखर्जी को राज्य मानवाधिकार आयोग का सदस्य मनोनीत करने का प्रस्ताव रखा, जिसका विधानसभा अध्यक्ष ने समर्थन किया.
हालांकि विरोधी दल के नेता डॉ मिश्र ने पूर्व पुलिस महानिदेशक को राज्य मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष मनोनीत करने पर आपत्ति जतायी, लेकिन कमेटी में बहुमत राज्य सरकार के होने के कारण श्री मुखर्जी के मनोनयन पर मुहर लग गया.
श्री मुखर्जी का कार्यकाल पांच वर्ष के लिए होगा. बाद में डॉ मिश्र ने संवाददाता सम्मेलन में बताया कि राज्य मानवाधिकार आयोग में नवंबर के पहले सप्ताह में व तीसरे सप्ताह में एक-एक पद रिक्त होगा. एक सदस्य का पद न्यायाधीश के लिए आरक्षित है. उन्होंने कहा कि पहले न्यायाधीश पद के लिए आरक्षित सदस्य का मनोनयन नहीं कर बाद में रिक्त होने वाले सदस्य के पद के लिए मनोनयन किया गया है. राज्य सरकार जल्दबाजी क्यों कर रही है. एक साथ ही दोनों सदस्यों के लिए मनोनयन कर सकती थी.
इसके पहले राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में सीबीआइ के पूर्व अध्यक्ष को सदस्य मनोनीत करने पर विवाद उत्पन्न हुआ था. इसी तरह से राज्य मानवाधिकार आयोग का सदस्य किसी पुलिस अधिकारी को मनोनीत नहीं किया जा सकता है. उन्होंने इसका विरोध किया है. डॉ. मिश्र ने कहा कि तात्कालीन पुलिस महानिदेशक के रूप में राज्य पुलिस के खिलाफ कई मामले विचाराधीन हैं. राज्य मानवाधिकार आयोग के सदस्य के रूप में वह कैसे इन मामलों पर विचार करेंगे. यह सोचने का विषय है. इसी कारण उन्होंने उनके मानवाधिकार आयोग का सदस्य बनाये जाने का विरोध किया है.