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जान बचा रही पीएनजी गन

– शिव कुमार राउत – कोलकाता : सुरक्षा के लहजे से भारत–बांग्लादेश सीमावर्ती इलाका काफी महत्वपूर्ण है. कई मामलों में यह भी साबित हो गया है कि आतंकियों व तस्करों के लिए देश में घुसने का भी यह प्रमुख मार्ग है. पाकिस्तान सीमावर्ती इलाकों के अलावा भारत–बांग्लादेश बॉर्डर के रास्ते सीमा पार से मानव, नकली […]

– शिव कुमार राउत –

कोलकाता : सुरक्षा के लहजे से भारतबांग्लादेश सीमावर्ती इलाका काफी महत्वपूर्ण है. कई मामलों में यह भी साबित हो गया है कि आतंकियों तस्करों के लिए देश में घुसने का भी यह प्रमुख मार्ग है.

पाकिस्तान सीमावर्ती इलाकों के अलावा भारतबांग्लादेश बॉर्डर के रास्ते सीमा पार से मानव, नकली नोटों जानवरों की तस्करी की घटनाएं होती हैं. यही वजह है कि घुसपैठियों तस्करों को सीमा पार से देश में घुसने से रोकने के लिए सीमा पर सुरक्षा बलों को गोलीबारी के लिए मजबूर होना पड़ता है. ऐसा भी होता है कि कई घंटों तक गोलीबारी करना मजबूरी बन जाती है.

ऐसी घटनाओं से जानमाल का नुकसान दोनों देशों को वहन करना पड़ता है. सीमा पर होनेवाली गोलीबारी से मौत की घटनाओं में कमी लाने के लिए भारतीय सीमा सुरक्षा बलों ने विशेष पहल की है. इस पहल के तहत अब सीमा के आउटपोस्टों पर तैनात सुरक्षा बल के जवानों को निगरानी सुरक्षा के लिए पंप एक्शन गन (पीएजी) गन मुहैया करायी जा रही है.

इंसास गन से की जाने वाली गोलीबारी में मौत और नुकसान की संभावना ज्यादा रहती है. अत: सीमा पर होने वाली गोलाबारी के दौरान इंसास गन की बजाए पंप एक्शन गन (पीएजी) को प्रमुखता दी जा रही है ताकि मौत की घटनाओं में कमी लायी जा सके.

क्या है पंप एक्शन गन (पीएजी)

यह एक विशेष प्रकार की गन है. अगर कोई व्यक्ति अवैध तरीके से सीमा में घुसने वाले लोगों को रोकने के लिए कई दफा सेना को फायरिंग के लिए मजबूर होना पड़ता है. पीएजी गन से दूर से फायरिंग करने से घुसपैठ करने वाला शख्स गंभीर रूप से घायल हो जाता है. उसकी गिरफ्तारी की संभावना भी बढ़ जाती है.

घुसपैठियों तस्करों की गिरफ्तारी से सीमा पार होने वाले संदिग्ध गतिविधियों को रोकने के लिए अहम जानकारी भी हाथ लग सकती है. इंसास गन में ऐसी बात नहीं है. दूर से भी फायरिंग करने पर टारगेट व्यक्ति की मौत निश्चित रहती है.

82 संवेदनशील बीओपी पर पीएजी का प्रयोग

पूर्वी भारत के सीमावर्ती संवेदनशील बॉर्डर आउट पोस्ट (बीओपी) पर पीएजी गन के व्यवहार पर जोर दिया जा रहा है. कुल 82 संवेदनशील बीओपी हैं. इनमें से अधिकतर संवेदनशील बीओपी साउथ नार्थ बंगाल में चिंह्ति किये गये है. 75 फीसदी अपराध जैसे तस्करी अन्य घटनाएं इन्हीं बीओपी पर देखी जाती है.

अपराधियों के दमन के लिए साउथ नार्थ बंगाल के बीओपी पर करीब ढ़ाईढ़ाई सौ बीओपी गन दिये गये है. इसके अलावा त्रिपुरा स्थित बीओपी पर 15 तथा मेघालय को पांच बीओपी गने दी गयी है. पूर्वी क्षेत्र की सीमा सुरक्षा बल को कुल 850 पीएजी गन दिये गये है.

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