-अजय विद्यार्थी-
कोलकाता : पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद के बयान से बुधवार को नया विवाद खड़ा हो गया. स्वामी निश्चलानंद ने अलीपुर सार्वजनिन समिति की ओर से आयोजित कार्यक्रम के दौरान वक्तव्य रखते हुए कहा कि महात्मा गांधी, जय प्रकाश नारायण और अन्ना हजारे के आंदोलन की सफलता पर अंगुली उठायी.
उन्होंने कहा : मैं महात्मा गांधी का इस बात के लिए सम्मान करता हूं कि उन्होंने अंगरेजी सत्ता के आतंक पर प्रहार किया. गांधी में देश प्रेम और त्याग की कमी नहीं थी, पर उनकी अहिंसा की क्रांति तब असफल सिद्ध हो गयी, जब देश के विभाजन के समय लाखों लोग हिंसा के शिकार हो गये. आजादी के बाद जयप्रकाश नारायण की क्रांति की असफलता इस बात में है कि उस क्रांति से उपजे हुए यूपी और बिहार के मुख्यमंत्री उन प्रदेशों को रसातल में लेकर चले गये.
पिछले कुछ वर्षो में अन्ना हजारे की क्रांति से निकले अरविंद केजरीवाल के मिजाज सभी के सामने हैं. इन तीनों व्यक्तियों की क्रांति इसलिए असफल हो गयी, क्योंकि इन तीनों में शास्त्रों का पूर्ण ज्ञान नहीं था. न ही उनमें पूर्ण रूप से अध्यात्मिकता थी. उन्होंने कहा कि देश काल और परिस्थिति के अनुसार धर्म बदलते रहता है.
धर्मातरण यदि क्रोध, लोभ, भावुकता से किया जाता है, तो वह किसी भी धर्म का नहीं रह पाता है. वह गोहत्या बंद करने की बात कहते हैं. वह ये बातें प्राणों की हथेली पर रख कर कहते हैं. उल्लेखनीय है कि इसके पहले शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की तर्ज पर पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने भी मंदिरों में साईं प्रतिमा पूजन को गलत ठहराया था. उनके इस बयान से विवाद पैदा हो गया था.