कोलकाता: पूर्व राष्ट्रपति व वैज्ञानिक डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने देश की लगातार बिगड़ रही अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए लघु उद्योगों व कृषि के विकास पर जोर दिया है. जेडी बिरला इंस्टीट्यूट की तरफ से मंगलवार को साइंस सिटी ऑडिटोरियम में आयोजित सम्मेलन इनवायरनमेंट एंड इट्स इंपैक्ट ऑन सोसाइटी में भाग लेने आये डॉ कलाम ने कहा कि भारत के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में लाखों लघु उद्योग हैं, उन्हें तकनीकी सहायता की जरूरत है. कृषि विकास पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि देश के किसान हर साल 250 मिलियन टन अनाज पैदा करते हैं. अगर देश में कृषि को वैल्यू एडिशन दिया जाये, तो किसानों के साथ-साथ देश भी लाभान्वित होगा.
पूर्व राष्ट्रपति ने देश के छह लाख गांवों में रहनेवाले 70 करोड़ ग्रामीणों की भलाई व उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए ‘पुरा’(प्रवाइडिंग ऑफ अर्बन अमेनिटीज टू रुरल एरियाज) स्कीम को बेहतर तरीके से लागू करने की बात कहीं. उपरोक्त तीनों कदमों को राष्ट्रीय कदम बताते हुए उन्होंने कहा कि देश को किसी की सहायता की जरूरत नहीं है, देश की आर्थिक व्यवस्था का विकास होगा.
इससे पहले इंस्टीट्यूट के छात्रों को संबोधित करते हुए डॉ कलाम ने कहा कि ऊर्जा बचत को ऊर्जा के पांचवें स्रोत के रूप माना जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि ऊर्जा की बचत करना ऊर्जा उत्पत्ति का सबसे सही व आर्थिक रूप से सही तरीका है. इसके लिए सामाजिक जागरूकता, उद्योग व घरों को हरित बनाने की जरूरत है. सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा व बारिश के पानी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल, गंदे पानी की रिसाइक्लिंग कर पुन: प्रयोग में लाये जाने से भी ऊर्जा की बचत की जा सकती है.देश में हो रहे ऊर्जा खपत की दर को भी कलाम ने कम करने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि अगले पांच सालों में देश में ऊर्जा की वार्षिक खपत 100 किलो वाट आवर प्रति वर्ग मीटर होना चाहिए. गौरतलब है कि वर्तमान में यह दर 300 किलो वाट आवर प्रति वर्ग मीटर है.