कोलकाता: राज्य की तृणमूल कांग्रेस सरकार के मानवाधिकार उल्लंघन की सीमाओं को लांघने की घटना कोई नयी बात नहीं है. गुरुवार को कलकत्ता हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अरुण कुमार मिश्र व न्यायाधीश जयमाल्य बागची की खंडपीठ ने राज्य सरकार को मानवाधिकार का उल्लंघन करने का दोषी करार देते हुए पीड़ित को 15 हजार रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया.
क्या है मामला
विगत 10 अप्रैल को सिलीगुड़ी में कानून तोड़ो आंदोलन के समय पुलिस ने एसएफआइ नेता को गिरफ्तार किया था. उसके बाद जेल में रहने के दौरान उसकी तबीयत खराब हो गयी थी, इसलिए पुलिस द्वारा उसे उत्तर बंग मेडिकल कॉलेज में भरती कराया गया, लेकिन अस्पताल में भरती रहने के दौरान भी उसके पैर में हथकड़ी लगी हुई थी.
पुलिस की सफाई खारिज
इस मामले में पुलिस ने सफाई देते हुए कहा कि उस दिन अस्पताल में मीडियाकर्मियों की भीड़ लगी हुई थी. साथ ही वहां माकपा के सैकड़ों समर्थक भी जुटे हुए थे. ऐसी स्थिति में वे आरोपी को जबरन छीन कर भी ले जा सकते थे, इसलिए थोड़ी देर के लिए आरोपी को हथकड़ी पहनाया गया था. लेकिन मुख्य न्यायाधीश ने राज्य सरकार के इस बयान को खारिज कर दिया. उन्होंने इस बयान की सच्चई पर संदेह जताया.