कोलकाता: केंद्र सरकार ने रक्षा विभाग में प्रत्यक्ष विदेश निवेश को मंजूरी दी है. केंद्र के इस फैसले से देश को नुकसान होगा. इसलिए तृणमूल कांग्रेस का केंद्र सरकार के इस फैसले का विरोध करना जायज है.
ये बातें शुक्रवार को राज्य के वित्त और उद्योग व वाणिज्य मंत्री डॉ अमित मित्र ने सीआइआइ की ओर से रक्षा विषय पर आयोजित सेमिनार में कहीं. तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व मंत्री अमित मित्र ने रक्षा क्षेत्र में एफडीआइ बढ़ाने का उनकी पार्टी द्वारा किये जा रहे विरोध को यह कहते हुए सही ठहराया कि एफडीआइ वृद्धि के बावजूद प्रौद्योगिकी नहीं देने की प्रवृत्ति जारी रहेगी. उन्होंने कहा कि भारत रक्षा क्षेत्र में 14 प्रौद्योगिकी समूहों में से 10 के सिलसिले में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण से वंचित है. बाकी चार में से दो में प्रौद्योगिकी विभिन्न कारणों से नहीं आयेगी. उन्होंने कहा कि बाकी दो समूह भारत में नवीनतम प्रौद्योगिकियां नहीं लायेंगे या उसे हस्तांतरित नहीं करेंगे.
उन्होंने कहा कि यही वजह है कि तृणमूल प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रक्षा क्षेत्र में एफडीआइ बढ़ाने के केंद्र के फैसले पर चिंता जतायी है. अगस्त में नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली भाजपा सरकार ने कैबिनेट के फैसले के जरिये रक्षा क्षेत्र में एफडीआइ को 26 फीसदी से बढ़ा कर 49 फीसदी करने को मंजूरी दी थी. श्री मित्र ने कहा कि रक्षा क्षेत्र के भारत के स्वदेशी उपकरण निर्माताओं (ओइएम) को विदेशी समकक्षों की तुलना में समान अवसर एवं सुविधाएं उपलब्ध करायी जानी चाहिए तथा कराधान असंतुलन सही किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि जहां भारतीय कंपनियों को कई तरह के करों से जूझना पड़ता है, वहीं विदेशी विनिर्माताओं को ऐसे शुल्कों से छूट प्राप्त है. रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों को रक्षा उद्योग रत्नों के साथ ही मजबूत किया जाना चाहिए.