कोलकाता: हेरीटेज इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के रोटरेक्ट क्लब के छात्रों ने महानगर के गरीब बस्तीवासी लोगों को लाइट मुहैया कराने के लिए एक अनोखी योजना शुरू की है.
इन छात्रों ने लाइटर ऑफ लाइट प्रोजेक्ट के तहत बेकार पड़ी बोतलों से सोलर बल्ब्स बनाने की ट्रेनिंग ली है. लाइटर ऑफ लाइट एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें बेकार पड़ी बोतलों को सोलर बल्ब्स में बदलने की तकनीक सिखायी जाती है. ये बल्ब रीचाज्रेबल बैटरी की सहायता से न केवल रात में बल्कि दिन के समय भी काम करने के लिए सक्षम होंगे. यह योजना सबसे पहले फिलीपिन्स में उन गरीब बस्तियों में शुरू की गयी, जहां लोगों के पास लाइट नहीं थी.
इस योजना को लागू करने के लिए जेएनटीयू के ग्रेजुएट प्रदीप चैन्टी उनके मित्र व मेन्टर्स ने माई शेल्टर्स फाउंडेशन इंडिया नाम का एनजीओ शुरू किया. यह एनजीओ लाउटर ऑफ लाइट प्रोजेक्ट के जरिये मुंबई की धारावी और हैदराबाद की विभिन्न बस्तियों में रोशनी देने का काम कर रहा है. हेरीटेज इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के रोटरेक्ट क्लब ने श्री चैन्टी से इस प्रोजेक्ट का मैकेनिजम सिखाने के लिए एचआइटी में आमंत्रित किया. ट्रेनिंग लेने के बाद छात्रों ने बताया कि इस लाइट का खर्चा बस्तीवासियों के लिए उठाना काफी सस्ता पड़ेगा. बस्ती में जिन घरों की सीलिंग ज्यादा ऊंची नहीं है और एसबेस्टस की छत बनी हुई है, वहां इसका लाभ लोगों को मिल सकता है. इस पूरी प्रक्रिया को सीखने व समझने के बाद एचआइटी के रोटरेक्ट क्लब के छात्रों ने इसको कैनिंग के पास बासंती इलाके की बस्तियों में शुरू करने का निर्णय किया है.