कोलकाता: ब्रिटिश जमाने से हमारे दादा-परदादा हावड़ा स्टेशन पर कुली का काम करते आ रहे हैं. लेकिन आज मेरा परिवार भुखमरी के कगार पर आ गया है. पिता की मृत्यु के बाद जब मैं हावड़ा स्टेशन पर कुली का काम करने आया, तो अधिकारियों ने कहा कि पिता का बिल्ला तुम्हें दिया जायेगा, लेकिन आजतक नहीं मिल पाया. सोचा था कि केंद्र में मोदी सरकार हम कुलियों के बारे में सोचेगी, लेकिन रेल बजट में तो हमारा जिक्र तक नहीं हुआ.
यह कहना था हावड़ा स्टेशन के कुली संजय कुमार का. उसने कहा : आज सात साल होने को आये, अब तो तीन बेटियां हैं. सोचता हूं कि कैसे घर चलेगा. ऐसा नहीं कि यह सिर्फ संजय की स्थिति है. हावड़ा स्टेशन पर काम कर रहे 600 से ज्यादा कुलियों का यही हश्र है. 30 साल से हावड़ा स्टेशन पर कुली का काम कर रहे हैं 65 वर्षीय शिव कुमार ग्वाला.
पैरों में लगी पट्टी और सूजन दिखाते हुए वह कहते हैं कि मेरे पैरों में अब इतनी शक्ति नहीं रही कि लोगों का बोझ उठा सकूं. सोचा था कि अपनी नौकरी बेटे को देकर अपने बूढ़े शरीर को आराम दूंगा, लेकिन काफी मिन्नतों के बाद भी रेल अधिकारी बिल्ला बेटों को नहीं दे रहे हैं. वहीं, धर्मेद्र कोइरी बताते हैं कि 2004 में रेलमंत्री रहते लालू प्रसाद ने यह एलान किया था कि तीन साल तक कुली का काम करने वाले कुलियों को गैंगमैन में नौकरी दी जायेगी. आज सामान ढोते ढोते पांच साल बीत गये, लेकिन कुछ नहीं हुआ. सोचा था कि मोदी के सरकार हमारी सुध लेगी, लेकिन कुछ नहीं हुआ.
यही शिकायत हावड़ा व सियालदह स्टेशन के कुली दिनेश कोइरी, शिवकुमार यादव और राजकुमार दुसाध व रामरतन यादव की थी.
रेलमंत्री सदानंद गौड़ा ने भले ही अन्य रेल कर्मचारियों के लिए अपने बजट में एलान किया हो, लेकिन हम कुलियों की अनदेखी ही की है. आज हावड़ा स्टेशन पर 624 कुली हैं, जिसमें से 200 कुलियों की उम्र 60 वर्ष से ज्यादा है. क्या ऐसे कुलियों के बेटों को नौकरी नहीं देनी चाहिए? जिनके पिता की मृत्यु हो चुकी है उनके लड़के बिना बिल्ला के ही स्टेशन पर कुली का काम करके पेट पालते हैं, लेकिन जीआरपी और आरपीएफ बिना बिल्ला के काम गिरफ्तार कर लेती है.
आस मोहम्मद खान, अध्यक्ष, ऑल इंडिया कुली महासंघ