कोलकाता/हुगली. मिल बंद होने के बाद से वह काफी परेशान रहने लगे थे. आखिरकार रोजी की चिंता उन्हें चिता तक ले गयी. यह बात कहते हुए राधा देवी अपने आंसुओं को रोक नहीं पायी. राधा देवी नॉर्थ ब्रुक जूट मिल के श्रमिक अमीर चंद्र गुप्ता (41) की विधवा हैं. मिल बंद होने के बाद अमीर चंद्र गुप्ता ने आत्महत्या कर ली. चांपदानी के एलएन आटा रोड की रहनेवाली राधा ने बताया कि उनके दो बेटे और एक बेटी है. बड़ा बेटा सुरेश और छोटे बेटे दीपक की पढ़ाई घर की तंगी की वजह से पहले ही छूट चुकी थी. बेटी रजनी कक्षा 10वीं की पढ़ाई कर रही है.
मिल के बंद होने के बाद अमीर अपनी बिटिया की पढ़ाई और घर की जीविका को लेकर चिंतित रहने लगे थे. रोजी की चिंता ने उसे इस कदर परेशान कर दिया था कि वह घर पर नहीं रह पा रहे थे. रविवार की शाम को वह अचानक अपने घर से निकले और फिर नहीं लौटे. सोमवार को अचानक उन्हें पता चला कि भद्रेश्वर और वैद्यवाटी स्टेशन के बीच एक व्यक्ति का शव मिला है. अंदेशा है कि शव अमीर का है. यह सुनते ही पूरे परिवार पर जैसे कहर ही टूट पड़ा. मोबाइल फोन के जरिये अमीर के शव की शिनाख्त हो पायी थी. मिल के सीइओ एचके माहेश्वरी की हत्या के बाद मिल में कार्य स्थगन का नोटिस लगा दिया गया था. हालांकि सोमवार को त्रिपक्षीय बैठक में मिल खोलने के लिए प्रबंधन राजी हो गया. मंगलवार से मिल में कार्य भी शुरू हो गया.
इधर, ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (एआइयूटीयूसी) के राज्य सचिव दिलीप भट्टाचार्य ने नॉर्थ ब्रुक जूट मिल के श्रमिक की मौत पर दुख व्यक्त करते हुए मांग की है कि राज्य सरकार मृतक के परिजनों को पांच लाख रुपये का मुआवजा दे. उन्होंने आरोप लगाया कि श्रमिक के आत्महत्या करने के लिए मिल प्रबंधन जिम्मेदार है और राज्य सरकार ने अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभायी है. पूर्ववर्ती वाम मोरचा के शासनकाल के दौरान भी नॉर्थ ब्रुक जूट मिल लगभग 10 वर्षों से बंद थी. एआइयूटीयूसी के नेता व बंगाल जूट मिल्स वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष दिलीप भट्टाचार्य ने कहा कि जूट मिल श्रमिकों की बदहाल स्थिति से निबटने के लिए एकमात्र उपाय है, संयुक्त रूप से आंदोलन करना. इधर, बंगाल जूट मिल वर्कर्स यूनियन के महासचिव अमल सेन ने आरोप लगाया कि राज्य में पेमेंट ऑफ वेजेज एक्ट का उल्लंघन हो रहा है.