कोलकाता: मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीए) द्वारा राज्य में एमबीबीएस की 750 सीटें कम किये जाने के फैसले से सैकड़ों छात्रों का भविष्य लटक गया है. छात्र संगठन ने एमसीए के इस कदम के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया है.
एक संवाददाता सम्मेलन में डीएसओ के उपाध्यक्ष डॉ मृदुल सरकार ने आरोप लगाया कि मेडिकल कॉलेजों में राज्य सरकार द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास नहीं किये जाने व मेडिकल शिक्षकों की पर्याप्त संख्या नहीं बढ़ाये जाने के कारण एमसीए ने यह कदम उठाया है. श्री सरकार ने बताया कि अभी एमसीए ने केवल सात मेडिकल कॉलेजों की जांच कर 750 सीट कम कर दी है. अभी आरजी कर मेडिकल कॉलेज व नॉर्थ बंगाल मेडिकल कॉलेज की रिपोर्ट आनी बाकी है. कुछ और सीटें कम किये जाने की आशंका है.
गौरतलब है कि राज्य में मेडिकल की कुल 2200 सीटें थीं. एमसीए द्वारा 750 सीट कम किये जाने के बाद बंगाल में एमबीबीएस सीटों की संख्या घट कर 1,450 रह गयी है. अपने फैसले में एमसीए ने स्पष्ट लिखा है कि इन मेडिकल कॉलेजों में छात्रों को एमबीबीएस की शिक्षा देने के लिए न तो जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर है और न ही पर्याप्त संख्या में शिक्षक उपलब्ध हैं.
डॉ सरकार ने बताया कि नये मेडिकल कॉलेज शुरू व पुराने मेडिकल कॉलेजों में सीट संख्या बढ़ाते समय राज्य सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास का वादा किया था, लेकिन वे पूरे नहीं किये गये. हमने इस मुद्दे पर कई बार स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से बातचीत की, पर वे इस मुद्दे पर गंभीर नहीं थे. इसका खामियाजा सैकड़ों छात्रों को भरना पड़ रहा है. जो छात्र पिछले शैक्षणिक सत्र में भरती हो गये हैं, उनका एक वर्ष बर्बाद हो जायेगा. वहीं नये छात्र भरती नहीं हो पायेंगे. डॉ सरकार ने बताया कि अगर राज्य सरकार ने मेडिकल कॉलेजों की स्थिति में विकास नहीं किया, तो आनेवाले दिनों में इनकी मान्यता भी रद्द होने की आशंका है. उन्होंने बताया कि सरकार के इस रवैये के खिलाफ हम राज्य भर में आंदोलन करेंगे. साथ ही सभी मेडिकल कॉलेजों में छात्रों के हस्ताक्षर संग्रह कर इस मुद्दे पर हम लोग मुख्यमंत्री से मिलने को भी प्रयास करेंगे.