कोलकाता: 17 वर्ष से जिस संतान को महिला मृत मान रही थी उसके जीवित होने की संभावना जाग उठी है. हालांकि इस बाबत पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई न किये जाने पर कलकत्ता हाइकोर्ट में मामला दायर किया गया है.
अदालत ने थाना प्रभारी को अदालत में हाजिर होने के लिए कहा है. उल्लेखनीय है कि बेलघरिया इलाके की केया मजुमदार ने 1995 की आठ जुलाई को अपने घरवालों की मरजी के खिलाफ प्रबीर मजुमदार से शादी की थी. जब उसकी पहली संतान के प्रसव का वक्त हुआ तो वह अपने पिता के पास चली गयी थी.
1997 के दो अगस्त को उसने एक बच्चे को जन्म दिया. वेसाइड होम क्लिनिक में बच्चे का जन्म हुआ था. जन्म से ही बच्च काफी बीमार था. दो दिन बाद उसके पिता वैद्यनाथ भट्टाचार्य ने उससे कहा कि वह बच्चे को बेहतर इलाज के लिए मारवाड़ी रिलीफ सोसाइटी में स्थानांतरित कर रहा है. 11 अगस्त को उसके पिता ने उसे बताया कि बच्च मर गया है और उसे पातिपुकुर के कब्रिस्तान में दफना दिया गया है. कुछ वर्षो बाद केया फिर गर्भवती हुई थी, लेकिन उसकी संतान गर्भ में ही नष्ट हो गयी. तीसरी बार भी गर्भवती होने पर भी ऐसा ही हुआ और उसकी संतान गर्भ में ही नष्ट हो गयी थी. इस पर केया काफी टूट गयी. उसके पिता वैद्यनाथ भट्टाचार्य ने उसे दिलासा देते हुए कहा कि हो सकता है कि उसकी पहली संतान आज भी जिंदा हो. इस पर केया ने अपने पिता से काफी पूछा लेकिन उसने और कुछ नहीं कहा.
केया ने अपने भाई के जरिये यह पता लगाया कि वैद्यनाथ भट्टाचार्य हर महीने आद्यापीठ बालश्रम में एक बच्चे से मिलने जाते हैं. केया अपने पति के साथ वहां पहुंची और प्रबंधन से बातचीत के बाद उक्त बच्चे से वह मिलने में कामयाब रही. उसने देखा कि बच्चे का चेहरा हुबहू उसके पति से मिलता है. उसने उस बच्चे को अपना बच्च बताते हुए बेलघरिया थाने में एफआइआर दर्ज कराया, लेकिन पुलिस द्वारा कोई कदम न उठाने पर उसने कलकत्ता हाइकोर्ट में मामला दायर किया. इससे पहले न्यायाधीश दीपंकर दत्त ने थाना प्रभारी को मामले की रिपोर्ट देने के लिए कहा था, लेकिन जब ऐसा नहीं किया गया तब बुधवार को सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने थाना प्रभारी को 14 मई को अदालत में हाजिर होने का निर्देश दिया है.