जंगल महल में माओवादी हमले के बाद सुरक्षा बढ़ी
बिहार व झारखंड से घुसे हैं माओवादी
सात मई को होगा जंगल महल में चुनाव
कोलकाता : आगामी सात मई को जंगल महल क्षेत्र के तीन जिलों में होनेवाले लोकसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग व राज्य सरकार ने अभी से ही तैयारियां शुरू कर दी हैं. बांकुड़ा, पश्चिम मेदिनीपुर व पुरुलिया में शांतिपूर्वक चुनाव संपन्न कराने के लिए यहां 150 कंपनियां तैनात की जायेंगी. यह जानकारी राज्य के आइजी (कानून-व्यवस्था) एमके सिंह ने दी. उन्होंने बताया कि इन जिलों में पहले से ही केंद्रीय सुरक्षा बल तैनात हैं, लेकिन चुनाव के लिए यहां और 150 कंपनियां बुलायी जायेंगी.
छह विस क्षेत्रों में शाम चार बजे तक ही होगा मतदान
चुनाव के दौरान हो रहे माओवादी हमलों के कारण आयोग ने बंगाल के दो लोकसभा क्षेत्रों में मतदान का समय कम करने का फैसला किया है. राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी सुनील गुप्ता ने पहले ही बताया था कि झाड़ग्राम व पुरुलिया लोकसभा क्षेत्रों के छह विधानसभा क्षेत्रों में सुरक्षा के मद्देनजर मतदान के समय को कम करके शाम चार बजे तक तय कर दिया गया है. झाड़ग्राम लोकसभा क्षेत्र में स्थित झाड़ग्राम, बीनपुर व बंदवान और पुरुलिया के बलरामपुर, बाघमुंडी व जयपुर में सुबह सात बजे से शाम चार बजे तक ही चुनाव होंगे.
सरकार ने जारी किया अलर्ट
उन्होंने बताया कि लोकसभा चुनाव के दौरान देश के विभिन्न क्षेत्रों में हुए माओवादी हमलों के बाद अब बंगाल में भी माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था को और बेहतर करने का निर्देश दे दिया गया है. राज्य सरकार के गृह विभाग की ओर से यहां के तीन माओवाद प्रभावित जिले पश्चिम मेदिनीपुर, बांकुड़ा व पुरुलिया में पुलिस के जवानों को पहले से ही अलर्ट कर दिया गया है. क्योंकि जंगल महल के तीनों जिलों में सात मई को चुनाव होगा, इसलिए अभी इस क्षेत्र के लिए चुनाव ड्यूटी के लिए केंद्रीय सुरक्षा बल के जवान नहीं पहुंचे हैं. फिलहाल राज्य सरकार को ही इसकी निगरानी करनी होगी.
लगेंगे सैटेलाइट फोन
जंगल महल में चुनाव के दौरान सैटेलाइट फोन का प्रयोग किया जायेगा. पहली बार, लोकसभा चुनाव में सैटेलाइट फोन टर्मिनल लगाये जायेंगे. इसे डिजिटल सैटेलाइट फोन टर्मिनल के नाम से पुकारा जायेगा और इन तीन जिलों में 10 सैटेलाइट फोन सर्विस हब बनाये जायेंगे. इन सभी सैटेलाइट फोन सर्विस हब को कोलकाता में स्थित चुनाव आयोग के कार्यालय से जोड़ा जायेगा, जिससे जंगल में भी चुनाव में तैनात अधिकारियों से आयोग बराबर संपर्क रख सके.