फिर सामने आया पुलिस की लापरवाही का एक और मामला
कोलकाता : इकबालपुर हत्याकांड में थाने के अधिकारियों की लापरवाही का एक और सनसनीखेज मामला बुधवार को सामने आया. घटना के तीन दिन बाद मौके पर पहुंची फोरेंसिक विभाग की टीम को पीड़िता पुष्पा सिंह के घर के अंदर कई सारे जगहों पर खून का धब्बा दिखा. जिसे नमूने के तौर पर अधिकारियों ने संग्रह किये हैं. काफी इंतजार के बाद बुधवार शाम मौके पर पहुंचे फोरेंसिक विभाग के चार सदस्यों की टीम ने पहले पीड़िता के फ्लैट का मुआयना किया.
वहां करीब डेढ़ घंटे तक रहने के दौरान विभाग के अधिकारियों को फ्लैट के अंदर कई जगहों पर खून के धब्बे दिखे. यह धब्बे दरवाजे के पीछे, पलंग के पास व घर में रखे काटरून के डिब्बे के पास मौजूद थे. इसके अलावा खून से सना हथेली का धब्बा भी दिखाई दिया. फोरेंसिक विभाग के अधिकारियों ने उन धब्बों से नमूना संग्रह किये. जिसकी जांच की रिपोर्ट में यह खुलासा होगा कि इनमें से कौन धब्बा पुष्पा के खून का है और कौन धब्बा उनकी बेटियों का है. इसके बाद फोरेंसिक विभाग के अधिकारी उस दुकान में पहुंचे जहां तीनों मां-बेटियों को गाड़ा गया था.
वहां से अधिकारियों ने मिट्टी पर लगे रक्त के नमूने संग्रह किये, साथ ही गड्ढे के अंदर से मिट्टी के नमूने भी कब्जे में लिये. यही नहीं इसके अलावा और भी कई महत्वपूर्ण नमूने पीड़िता के फ्लैट से एकत्रित किये है.
पुलिस को क्यों नहीं दिखा खून का धब्बा : पीड़िता के घर से रक्त के धब्बे मिलने से फिर से एक बार पुलिस की बड़ी लापरवाही का खुलासा हुआ है. पीड़िता के पिता पारस नाथ सिंह का कहना है कि जब बेटी के अपहरण की शिकायत वे इकबालपुर थाने में करने गये. उसके बाद 31 मार्च को ही थाने से पुलिस कर्मी पुष्पा के बंद पड़े फ्लैट को खोल कर उन्हें फ्लैट में घुसा दिया. उस दिन जब उनके फ्लैट में थाने की पुलिस घुसी तो वह खून का धब्बा उनकी नजर में पड़ना चाहिए था, जो कि बुधवार को फोरेंसिक विभाग की टीम की नजर में नहीं पड़ा. अगर उस समय 31 मार्च को यह धब्बा पुलिस की नजर में पड़ता, तो इस मामले का खुलासा काफी पहले हो जाता.
लेकिन ऐसा नहीं हुआ, कई बार थाने से पुलिस उनके फ्लैट में आयी, लेकिन एक बार भी उनकी नजर में यह नहीं पड़ा. पारसनाथ का कहना है कि 31 मार्च को जब पुलिस उन्हें बेटी के फ्लैट में लायी उसी समय फ्लैट खोलने के साथ ही अंदर पीले रंग का सिकंदर का एक विजिटिंग कार्ड उन्हें मिला. उस समय भी पुलिस को इस बारे में कहा गया. लेकिन वे इस पर गौर नहीं किये. आम नागरिक होने के कारण इन सब मामले की जानकारी उन्हें नहीं थी जिसके कारण उनका ध्यान इस तरफ नहीं गया. लेकिन पुलिस कर्मी होने के नाते उनका ध्यान इस तरफ जाना ही चाहिये था.