कोलकाता: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा चुनाव आयोग के निर्देश को पालन नहीं करने की चुनौती के बयान पर विपक्षी दलों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर हमला बोल दिया है. इसके साथ ही आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री के रवैये से राज्य में संवैधानिक संकट की स्थिति उत्पन्न हो गयी है.
प्रजातंत्र संकट में : विमान
वाम मोरचा के अध्यक्ष व माकपा राज्य सचिव विमान बसु ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि जब नेताओं का ऑक्सीजन कम हो जाता है, तो वे अनाप-सनाप बयान देने लगते हैं. ऐसे नेताओं का पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है. मुख्यमंत्री खुद ही गृह मंत्री भी हैं. उनके पास राज्य की कानून व्यवस्था की स्थिति संभालने का दायित्व है. इससे स्थिति और खराब ही होगी. उन्होंने कहा कि राज्य में इसी तरह के परिवर्तन की बात कही गयी थी. संविधान का शपथ लेकर ही उन्होंने मुख्यमंत्री का पद ग्रहण किया है. चुनाव आयोग ही संविधान के अनुसार काम कर रहा है. वह एक संवैधानिक संस्था है. चुनाव आयोग ने जो निर्देश दिया, उसे उन्हें मानना होगा. उन्होंने कहा कि राज्य का वातावरण अपूर्व है. वह पहले भी घोषणा कर चुकी हैं कि वह कानून नहीं मानती हैं. वह जो बोलेंगी. वही कानून नहीं है. उन्होंने इसके पहले भी कहा था कि उत्तर बंगाल को स्वीट्जरलैंड बनायेगी, कोई उत्तर बंगाल को स्वीट्जरलैंड नहीं बना सकता है, लेकिन उन्होंने अपनी गलती नहीं मानी. उन्होंने कहा कि राज्य में लोगों के जनतांत्रिक अधिकारों का हनन हो रहा है. प्रजातंत्र का गला घोटा जा रहा है. इस तरह से अधर्य, असहिष्णु लोगों के बयान अवाक करने वाले ही होते हैं.
राज्य में संवैधानिक संकट की स्थिति: प्रदीप
प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष प्रदीप भट्टाचार्य ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि यदि राज्य सरकार चुनाव आयोग का निर्देश का पालन नहीं करती है, तो राज्य में संवैधानिक संकट की स्थिति पैदा हो जायेगी. उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान संवैधानिक प्रमुख चुनाव आयोग हो जाता है. चुनाव आयोग द्वारा एसपी व डीएम को चुनाव डय़ूटी से हटाने के संबंध में टिप्पणी करते हुए कहा कि सत्तारूढ़ दल जिस तरह से अधिकारियों पर दबाव बनाता है. वैसी स्थिति में अपने भविष्य को ध्यान में रखते हुए अधिकारी पार्टी की बात मानने के लिए बाध्य हो जाते हैं. इससे राज्य के लोगों को नुकसान होता है. इसकी शिकायत राजनीतिक दलों व आम लोगों ने चुनाव आयोग से की थी. उसके मद्देनजर ही ये तबादले किये गये हैं.
चुनाव आयोग का निर्णय सर्वोच्च : सूर्यकांत
विधानसभा में विपक्ष के नेता डॉ. सूर्यकांत मिश्र ने कहा कि चुनाव आयोग का निर्णय सर्वोच्च है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस चुनाव को पंचायत व नगरपालिका चुनाव समझ रही है, लेकिन यह लोकसभा चुनाव है और इस चुनाव में केवल चुनाव आयोग का ही निर्देश का पालन होता है.