कोलकाता: पश्चिम बंगाल में फर्जी डॉक्टरों का नेटर्वक लंबे समय से फैला हुआ है. इस फरजीवाड़ा के लिए काफी हद तक प्राइवेट अस्पताल प्रबंधन भी जिम्मेवार हैं. रजिस्ट्रेशन प्राप्त कुछ असली डॉक्टर भी इसमें शामिल हैं. प्राइवेट अस्पतालों के प्रबंधन कम वेतन देने व ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए इन फर्जी डॉक्टरों को नियुक्त करते हैं. चिकित्सा क्षेत्र में चल रहे इस फरजीवाड़ा पर नकेल कसना आसान है, लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार की उदासीनता के कारण फर्जी डॉक्टरों को आश्रय मिल रहा है.
यह आरोप पीपल फॉर बेटर ट्रीटमेंट (पीबीटी) के अध्यक्ष डॉ कुणाला साहा का है. डॉ साहा शनिवार को महानगर के पीबीटी कार्यलय में संवाददाताओं को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने बताया कि फर्जी डॉक्टरों को पकड़ना बेहद आसान है, लेकिन वेस्ट बंगाल मेडिकल काउंसिल की वेबसाइट अपडेट नहीं होने के कारण फर्जी डॉक्टरों का परदाफाश नहीं हो पाता है. अगर वेबसाइट अपडेट हो, तो डॉक्टर का रजिस्ट्रेशन नंबर डालते ही उसके नाम व ठिकाने की जानकारी मिल सकती है. जिस राज्य की स्वास्थ्य मंत्री खुद मुख्यमंत्री हों, उस राज्य की चिकित्सा व्यवस्था का यह हाल है, जो काफी निंदनीय है. उन्होंने बताया कि दूसरे राज्यों के मेडिकल काउंसिल की तुलना में पश्चिम बंगाल काफी पिछड़ा हुआ है. उनका आरोप है कि नेताओं से आश्रय मिलने के कारण राज्य में फर्जी डॉक्टरों का नेटवर्क फैला है. उन्होंने पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष डॉ निर्मल मांझी पर भी निशाना साधा.
हाबरा से एक और फरजी डॉक्टर गिरफ्तार
कोलकाता. राज्य में एक के बाद एक फर्जी डॉक्टरों के पकड़ने जाने का मामला सामने आ रहा है. राज्य के विभिन्न जिलों से अब तक 11 फर्जी डॉक्टरों की गिरफ्तारी हो चुकी है. शुक्रवार रात फर्जी डॉक्टर का एक और मामला उत्तर 24 परगना जिले के हाबरा थाना क्षेत्र अंतर्गत कारमथुआ इलाके में सामने आया. आरोपी डॉक्टर का नाम सोमदेव नाथ बताया गया है. वह अपने पैड पर एमडी, एफआरसीएस लिखता था. शुक्रवार रात स्थानीय लोगाें ने संदेह हाेने पर देवनाथ से अपनी डिग्री दिखाने का कहा. डिग्री नहीं दिखाने पर लाेगों ने इसकी शिकायत थाने में की. पुलिस ने शिकायत के आधार पर कार्रवाई करते हुए उसे गिरफ्तार कर लिया.
सूत्रों के अनुसार देवनाथ गोबर डांगा व कामथूरा इलाके में स्थित चेंबर में काफी दिनों से लोगों का इलाज कर रहा था. पुलिस गिरफ्तार डॉक्टर से पूछताछ कर रही है.
पश्चिम बंगाल हेल्थ रेगुलेटरी कमीशन पर निशाना
डॉ साहा ने बताया कि चिकित्सकीय लापरवाही के मामले की सुनवायी के लिए राज्य सरकार ने पश्चिम बंगाल हेल्थ रेगुलेटरी कमीशन का गठन किया है. इसमें डॉ सुकुमार मुखर्जी को भी शामिल किया गया है, लेकिन डॉ मुखर्जी का रजिस्ट्रेशन नंबर सर्वोच न्यायालय के निर्देश पर मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीअाइ) ने रद्द कर दिया है. ऐसे चिकित्सक को कमीशन में शामिल किया गया है. ऐसे में इस तरह के एक चिकित्सक से न्याय की उम्मीद कैसे की जा सकती है, जो खुद चिकित्सकीय लापरवाही के मामले में दोषी पाया गया हो.