UP Politics: अपने बेस वोटर को सहेजने के लिए बसपा को अपने चार दशक पुराने नारे के साथ पुरानी कार्यशैली भी याद आ रही है. 2024 में लोकसभा चुनाव से पहले बसपा प्रमुख मायावती भी कांशीराम की तरह कार्यकर्ताओं और समाज के लोगों से मिलेंगी. अगस्त से कैडर कैंप लग रहे हैं. मंडल स्तर के कुछ कैंपों में वह भी कार्यकर्ताओं से रूबरू होंगी और लोकसभा चुनाव की तैयारी का मंत्र देंगी. बसपा ने 2007 में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी. उसके बाद से पार्टी का जनाधार लगातार खिसकता जा रहा है. पिछले विधानसभा चुनाव में उसे महज एक सीट मिली. इस बार नगर निकाय चुनाव जोर - शोर से लड़ा लेकिन इसमें भी वह 2017 में हासिल की हुई दो मेयर सीटें भी नहीं बचा पाई. वोट प्रतिशत 2022 के विधान सभा चुनाव में 13 प्रतिशत से नीचे आ गया. मेयर सीटों पर बसपा का वोट प्रतिशत 12 प्रतिशत रहा. ऐसे में उसे सबसे ज्यादा चिंता अपने बेस वोटर दलितों को सहेजने की है. इसके साथ पार्टी अतिपिछड़ा और मुसलमानों को जोड़कर समीकरण साधना चाहती है.
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