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कुछ ताकतें यूपी में सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने की कोशिश में

इलाहाबाद : मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज इस आरोप का खंडन किया कि उत्तर प्रदेश सरकार कुछ समुदायों का पक्ष ले रही है और कहा कि प्रशासन लोगों के कल्याण के लिए काम कर रहा है जबकि कुछ ताकतें राज्य में सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने की कोशिश कर रही हैं. यादव ने यहां एक कार्यक्रम में […]

इलाहाबाद : मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज इस आरोप का खंडन किया कि उत्तर प्रदेश सरकार कुछ समुदायों का पक्ष ले रही है और कहा कि प्रशासन लोगों के कल्याण के लिए काम कर रहा है जबकि कुछ ताकतें राज्य में सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने की कोशिश कर रही हैं.

यादव ने यहां एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘विपक्षी दलों ने हमपर अक्सर पक्षपातपूर्ण होने और वोटबैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया है. यह बिल्कुल झूठ है क्योंकि हमारी योजनाएं, चाहे वह विद्यार्थियों को मुफ्त लैपटॉप देने की बात हो या कन्यादान योजना या बेरोजगारी भत्ता, सभी समुदायों के लोगों को उपलब्ध करायी गयी हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा जान पड़ता है कि कुछ ऐसी ताकते हैं जो राज्य में सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने की कोशिश कर रही हैं. ’’

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी ताकतों को सफल नहीं होने दिया जाएगा और सपा सरकार राज्य का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित करने की अपनी पहल जारी रखेगी. दो साल से भी कम समय में हमने जो हासिल किया है, वह पिछली मायावती सरकार अपने पांच साल के कार्यकाल में हासिल नहीं कर पायी. ऐसा जान पड़ता है कि इससे राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के दिल में चुभन हो रही है.’’ इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कक्षा 12 वीं की परीक्षा पास करने वाले छात्र और छात्रओं को मुफ्त लैपटॉप प्रदान किए.

यादव ने कहा, ‘‘राज्य सरकार देश की सबसे घनी अबादी वाले प्रांत उत्तर प्रदेश में तीव्र औद्योगिक विकास लाने को हरसंभव प्रयास कर रही है. उत्तर प्रदेश की प्रगति के बगैर भारत तरक्की नहीं कर सकता.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारी पहल से जो अनुकूल निवेश माहौल बना है उससे हमें आशा है कि निवेशक शीघ्र ही राज्य में आने लगेंगे. ’’

यादव की इस यात्रा पर उन छात्रों के प्रदर्शन की छाया पड़ी जो प्रांतीय सिविल सेवाओं में सभी चरणों पर जाति आधारित आरक्षण पर सरकार के कथित विश्वासघात से नाराज थे. मुख्यमंत्री के हेलीकॉप्टर के पहुंचने से महज कुछ मिनट पहले कार्यक्रम स्थल के समीप कई आरक्षण समर्थक कार्यकर्ता गिरफ्तार किए गए.

उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग ने इसी साल प्रारंभ में अपनी विवादास्पद आरक्षण नीति वापस ले ली क्योंकि आरक्षण का जबर्दस्ती विरोध हुआ और राज्य सरकार ने दावा किया कि उसे विश्वास में नहीं लिया गया. मुख्यमंत्री के चले जाने के बाद कार्यक्रम स्थल पर कई युवाओं ने तोड़फोड की. उन्होंने दावा किया कि उन्होंने लाभार्थियों में अपना नाम लिखवाया था लेकिन उन्हें लैपटॉप नहीं दिया गया.

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