राजेन्द्र कुमार
लखनऊः मुजफ्फरनगर दंगे को लेकर दबाव महसूस कर रही अखिलेश सरकार एक खबरिया चैनल के किए स्टिंग आपरेशन का सच जानेगी. इसके लिए पहले ही जहां शासन स्तर से आइजी मेरठ को स्टिंग सीडी का परीक्षण कर रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए गये थे और डीजीपी कार्यालय स्टिंग आपरेशन की सीडी का परीक्षण करने में जुटा था. वही अब विधानसभा की एक संसदीय कमेटी भी खबरिया चैनल द्वारा मुजफ्फरनगर के दंगे को लेकर किए गए स्टिंग आपरेशन की जांच करेगी. विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय ने गुरूवार को पीठ से यह घोषणा की. उन्होंने कहा कि स्टिंग आपरेशन की सत्यता की जांच संसदीय कमेटी करेगी और जल्द ही अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.
गौरतलब है कि मुजफ्फरनगर दंगे के नियंत्रण में आने के बाद एक खबरिया चैनल ने स्टिंग आपरेशन के जरिए यह दिखाया था कि मुजफ्फरनगर दंगे की वजह बनी कुछ घटनाओं में पकड़े गए लोगों को छुड़वा दिया गया था. स्टिंग आपरेशन में अखिलेश सरकार के सबसे ताकतवर कैबिनेट मंत्री आज़म खां को संदिग्ध भूमिका में दिखाया गया था. जिसे लेकर गत बुधवार को विपक्षी नेताओं ने विधानसभा में जबर्दस्त हंगामा किया. तो सरकार ने आनन फानन में आइजी मेरठ को स्टिंग की सीडी का परीक्षण कर रिपोर्ट भेजने और डीजीपी कार्यालय में भी स्टिंग आपरेशन की सीडी का परीक्षण करने का निर्देश दिया.
सरकार की इस कार्रवाई के बाद गुरूवार को स्टिंग आपरेशन से खफा सपा सदस्यों ने विधान सभा में हंगामा किया. आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार की छवि को धूमिल करने के लिए यह स्टिंग आपरेशन किया गया. कैबिनेट मंत्री आजम खां ने स्टिंग आपरेशन में लगाए गए आरोपों को खारिज किया. सपा सदस्यों ने इस स्टिंग आपरेशन की सत्यता जांचने के लिए सदन की एक समिति गठित करने की मांग की. जिसे विधानसभा अध्यक्ष ने मान लिया. विधानसभा अध्यक्ष के इस फैसले का विपक्षी नेताओं ने विरोध किया. उनका कहना है कि स्टिंग आपरेशन की सच्चाई जानने के लिए पुलिस के वरिष्ट अफसर जांच कर रहे तो संसदीय कमेटी के गठन की जरूरत क्यों महसूस की जा रही है. कही ऐसा तो नहीं इस कमेटी का गठन कर सरकार खबरिया चैनल पर दबाव बनाना चाहती है. विपक्षी दलों के इस आरोप को विधानसभा अध्यक्ष गलत बताते हैं. उनका कहना है कि संसदीय कमेटी में सभी दलों के सदस्य होंगे और उनके निर्णय पर संदेश करने की जरूरत नहीं है.