पानी के लिए तरस रहे हैं पोकुवाबेड़ा के ग्रामीण, तीन किमी दूर चुआं खोदकर बुझाते हैं प्यास
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मात्र एक चापकल के भरोसे है 600 की आबादी
पानी के लिए तरस रहे हैं पोकुवाबेड़ा के ग्रामीण, तीन किमी दूर चुआं खोदकर बुझाते हैं प्यास चक्रधरपुर : बढ़ती गर्मी में पोकुवाबेड़ा के ग्रामीणों को पानी के लिए पानी-पानी होना पड़ रहा है. गर्मी के कारण गांव में लगे छह चापाकल दम तोड़ चुके हैं. ग्रामीणों ने चापाकल की मरम्मत के लिए विभाग को […]
चक्रधरपुर : बढ़ती गर्मी में पोकुवाबेड़ा के ग्रामीणों को पानी के लिए पानी-पानी होना पड़ रहा है. गर्मी के कारण गांव में लगे छह चापाकल दम तोड़ चुके हैं. ग्रामीणों ने चापाकल की मरम्मत के लिए विभाग को बार-बार सूचना दी जा रही है. परंतु विभाग मौन है. 600 आबादी वाला पोकुवाबेड़ा गांव के लोग मात्र एक चापाकल के भरोसे जी रहे हैं. समय रहते हुए अन्य चापाकलों की मरम्मत नहीं की गयी, तो ग्रामीणों को पानी के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. एक चापाकल में अधिक भीड़ होने से लोगों को तीन किलो मीटर दूरी तय कर संदय नदी से पानी लाना पड़ता है.
ग्रामीणों की जुबानी, गांव की कहानी: शांति सामड ने कहा कि गर्मी के दिनों में गांव के लोगों को स्वच्छ पेयजल नहीं मिल रहा है. जिससे लोग बीमार हो रहे हैं. समय रहते हुए चापाकलों की मरम्मत विभाग द्वारा करवाया जाये. जेमा सामड का कहना है कि गांव में लगे छह चापाकल में से पांच चापाकल खराब हैं.
20 से 25 मिनट चलाने पर पानी निकलता है. एक चापाकल जो चालू स्थिति में है. उसका भी जलस्तर घटने लगा है. दशमा सामड ने कहा कि सरकार को ग्रामीण क्षेत्र के उत्पन्न पेजयल समस्या पर ध्यान देने की आवश्यकता है. गांव में पानी की काफी किल्लत है.
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