राजमहल : राजमहल अंचल के तात्कालीन सीओ व वर्तमान में नामकुम में पदस्थापित कुमुदनी टुडू, वर्तमान अंचल निरीक्षक अवध लाल मेहता व उमाकांत मंडल द्वारा जाली कागजात बनाकर अवैध तरीके से जमीन दाखिल-खारिज करने के मामले को लेकर जमीन मालिक महाजनटोली निवासी मो फरीद ने एडीजीएम के न्यायालय में पीसीआर वाद संख्या 344 /2015 के तहत परिवाद दाखिल किया है.
क्या है मामला : अभियोगी मो फरीद ने न्यायालय को बताया है कि दिनांक 16/12/2003 को राजमहल अंचल अंर्तगत तुरतीपुर मौजा के थाना नं 69, तौजी नं 40, जमाबंदी नं 23 तथा खेसरा दाग नं 244 में एक बीघा 14 कट्ठा जमीन है.
जमीन के मालिक स्व मोहर अली उर्फ महरील शेख के पत्नी, बेटी व बेटागण क्रमश: पत्नी असमा बेबा, बेटा मोज्जामिल, अब्दुल शेख, कालू शेख, बेटी तोहरा खातुन व असद अली सभी सकिम नारायणपुर से निबंधन कार्यालय राजमहल में निबंधन ब्रिक्रीनामा दस्तावेज संख्या 4025/2003 में निबंधन कराकर जमीन प्राप्त की. उपरोक्त विक्रेताओं ने उक्त वर्णित जमीन का दखल एवं स्वामीत्व भी सौंप दिया. उपरोक्त जमीन को मैंने 25/02/2004 को राजमहल अंचलाधिकारी के कार्यालय से दाखिल-खारिज कराकर उक्त जमीन का राजस्व देकर रसिद अपने नाम से कटवाते आ रहा हूं. दाखिल-खारिज संख्या 692/2003-04 है.
अभियुक्त उमाकांत मंडल ने मेरे जमीन को गैरकानूनी रूप से जमीन को हड़पने तथा मुझे क्षति पहुंचाने के लिए अंचल अधिकारी कुमुदनी टुडू व उक्त मौजा के हल्का क र्मचारी सह प्रभारी अंचलनिरीक्षक अवधलाल मेहता द्वारा षड्यंत्र रचकर स्व महरील शेख के स्थान पर जाली बाये अंगूठे का टिप निशान कराकर महरील शेख के नाम से दाखिल-खारिज के लिए आवेदन लेकर महरील शेख के नाम पर दाखिल-खारिज के लिए दिनांक 15/02/2014 को अंचलाधिकारी के समक्ष दाखिल किया.
जिस पर श्रीमति अंचलाधिकारी ने नामांतरण संख्या 1385/2013-14 दर्ज किया. जब 2003 से पूर्व मोहरील शेख की मृत्यु हो चुकी है तो महरील शेख के नाम से दाखिल-खारिज कैसे हुआ.