साहिबगंज : पश्चिम बंगाल में हाल में ही संपन्न हुए पंचायत चुनाव में कई जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के जिला परिषद सदस्य, पंचायत समिति सदस्य व ग्राम पंचायत सदस्य के पद पर तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवारों को हार का मुंह देखना पड़ा. अपनी हार को तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार चुनाव जीते भाजपा के नवनिर्वाचित जनप्रतिनिधियों व उनके परिवारों के साथ मारपीट करना प्रारंभ कर दिया है. जिसके कारण भाजपा के जनप्रतिनिधि अपने परिवार के साथ अपना घर छोड़ कर झारखंड के साहिबगंज में शरण लिए हैं.
पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के बाबनगोला, हबीबपुर, मानिकचक, आराइडागा, गाजोल, ओल्ड मालदा सहित कई प्रखंडों के भाजपा के चुनाव जीते हुए 110 नवचयनित जनप्रतिनिधि सहित कुल 210 महिला व पुरुष झारखंड राज्य के साहिबगंज जिला मुख्यालय के चौक बाजार स्थिम अमख पंचायत भवन धर्मशाला में शरणार्थी के रूप में तीन दिनों से रह रहे हैं. बंगाल से भागकर साहिबगंज पहुंचे हैं. जनप्रतिनिधि व उनके परिवार काफी भयभीत है. वहीं पीड़ित लोगों ने साफ शब्दों में कहा कि पश्चिम बंगाल में जंगल राज कायम हो गया है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में तानाशाही कर रही हैं.
पश्चिम बंगाल में कानून नाम की कोई चीज नहीं रह गयी है. पंचायत चुनाव में अपनी हार को तृणमूल कांग्रेस के नेता पचा नहीं पा रहे हैं. यही कारण है कि तृणमूल कांग्रेस के नेता व कार्यकर्ता विपक्षी पार्टी भाजपा के चुनाव जीते हुए नवचयनित जनप्रतिनिधियों व उनके परिवार के सदस्यों के साथ मारपीट व अगवा करने जैसे कार्य कर रहे हैं. यही कारण है कि भाजपा के जनप्रतिनिधि अपने व अपने परिवार की जान बचाने के लिए बंगाल से अपना घर द्वार छोड़ कर झारखंड राज्य के साहिबगंज में शरण लिए हैं. बताते चले की बुधवार को सुबह 8:30 बजे मालदा-जमालपुर ट्रेन से 42 नवचयनित जनप्रतिनिधि सहित कुल 60 पीड़ित महिला व पुरुष साहिबगंज पहुंचे हैं. अब तक कुल 210 पीड़ित साहिबगंज में रह रहे हैं. इधर, भाजपा जिला अध्यक्ष पप्पू साह, व अमित आर्यन के देखरेख में भोजन, नाश्ता व ठहरने की पूरा व्यवस्था अमख धर्मशाला में की गयी है.