बिना फिटनेस सर्टिफिकेट के व्यावसायिक वाहनों का परिचालन नियम विरुद्ध है. ऐसा करनेवालों पर 10 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है. मजबूरन वाहन मालिक निजी फिटनेस सेंटरों कार रुख करते हैं, जो सरकार द्वारा निर्धारित दर पर व्यावसायिक वाहनों को फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करते हैं. इस पर संबंधित जिला के एमवीआइ का काउंटर हस्ताक्षर होता है. रांची शहर में पांच फिटनेस सेंटर हैं. अन्य जिलों में भी तीन से चार निजी फिटनेस सेंटर हैं.
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निजी फिटनेस सेंटर की रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर उठते हैं सवाल, निजी फिटनेस सेंटर के भरोसे 3.48 लाख व्यावसायिक वाहन
रांची: झारखंड में करीब 40.26 लाख (वर्ष 2001 से 2015-16 के बीच निबंधित) वाहन हैं. इसमें से 3.48 लाख वाहन व्यावसायिक हैं. इन वाहनों को साल में एक बार फिटनेस सर्टिफिकेट लेना पड़ता है. वैसे तो व्यावसायिक वाहनों की जांच की जिम्मेदारी जिला के एमवीआइ की है, लेकिन पर्याप्त संख्या में एमवीआइ न होने की […]
रांची: झारखंड में करीब 40.26 लाख (वर्ष 2001 से 2015-16 के बीच निबंधित) वाहन हैं. इसमें से 3.48 लाख वाहन व्यावसायिक हैं. इन वाहनों को साल में एक बार फिटनेस सर्टिफिकेट लेना पड़ता है. वैसे तो व्यावसायिक वाहनों की जांच की जिम्मेदारी जिला के एमवीआइ की है, लेकिन पर्याप्त संख्या में एमवीआइ न होने की वह से व्यावसायिक वाहनों के मालिक निजी फिटनेस सेंटर पर निर्भर हैं, जनकी विश्वसनीयता पर हमेशा सवाल उठते रहते हैं.
बिना फिटनेस सर्टिफिकेट के व्यावसायिक वाहनों का परिचालन नियम विरुद्ध है. ऐसा करनेवालों पर 10 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है. मजबूरन वाहन मालिक निजी फिटनेस सेंटरों कार रुख करते हैं, जो सरकार द्वारा निर्धारित दर पर व्यावसायिक वाहनों को फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करते हैं. इस पर संबंधित जिला के एमवीआइ का काउंटर हस्ताक्षर होता है. रांची शहर में पांच फिटनेस सेंटर हैं. अन्य जिलों में भी तीन से चार निजी फिटनेस सेंटर हैं.
पर्याप्त संख्या में नहीं हैं एमवीआइ : हर जिले में हजारों की संख्या में फिटनेस सर्टिफिकेट लंबित हैं, क्योंकि राज्य के 24 में से 20 जिलों में एमवीआइ है ही नहीं. चार एमवीआइ के जिम्मे ही अन्य 20 जिलों के एमवीआइ का प्रभार है. तीन अप्रैल को जेपीएससी ने 11 एमवीआइ का रिजल्ट जारी किया है, लेकिन एक माह बीतने के बाद भी अब तक उन्हें नियुक्ति पत्र नहीं दिया गया है. इससे जिलों में व्यावसायिक वाहनों का फिटनेस सर्टिफिकेट जारी नहीं हो पा रहा है.
साल में एक बार लेनी होती है रिपोर्ट : एमवीआइ एक्ट के मुताबिक व्यावसायिक वाहनों को साल में एक बार फिटनेस रिपोर्ट लेनी पड़ती है. निजी एजेंसियों द्वारा जारी फिटनेस रिपोर्ट पर जिलों के एमवीआइ काउंटर हस्ताक्षर करते हैं. अगर कोई वाहन मालिक फिटनेस सर्टिफिकेट समय पर नहीं लेते हैं, तो परिवहन विभाग जुर्माने की राशि वसूलती है. नियमानुसार सर्टिफिकेट का एक साल पूरा होने के बाद हर दिन 50 रुपये जुर्माना देना पड़ता है.
हर साल 5000 से अधिक दुर्घटना : सूत्रों के मुताबिक कई निजी फिटनेस सेंटर में बिना सही जांच के ही व्यावसायिक वाहनों का फिटनेस सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाता है. झारखंड में हर साल दुर्घटनाओं में हो रही बढ़ोतरी की एक वजह फिटनेस की सही तरीके से जांच नहीं होना भी है. एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक झारखंड में हर साल 5000 से अधिक दुर्घटनाएं होती हैं, जिसमें 2800 से अधिक लोगों की मौत हो जाती है. आंकड़े के मुताबिक वर्ष 2014 में राज्य में 4905 दुर्घटनाएं हुई थी, जो वर्ष 2015 में बढ़ कर 5162 हो गयी थी. वर्ष 2015 में दुर्घटनाओं में 2893 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 4038 लोग घायल हुए थे.
व्यावसायिक वाहनों से दुर्घटना में 1123 की मौत : एनसीआरबी की 2015 की रिपोर्ट के मुताबिक 5162 दुर्घटनाओं में 2893 लोगों की मौत हुई थी. मृतकों में 1123 लोगों की मौत व्यावसायिक वाहनों (ट्रक, टैंकलोरी, लॉरी, बस, जीप व ऑटो) की दुर्घटना में हुई थी.
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